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________________ CSP595PX विद्याभुशासन 959595959 व :- पिंगल वाहनं मयूर ग्रीव वर्ण द्विभुजं तोमर शक्ति हस्तं व्याल यज्ञोपवीत सुस्वर त्रिशंधोन विस्तीर्ण आकाश गामिनंक्रियां क्षत्रियं सुगंध माल्यानुलेपनं आग्नेय पुरा कमतं चितिंत मनोरथ सिद्धिं करं अणिं मादि दैवतं पुलिलिंग स्वकारस्य शक्ति : ॥ २ ॥ खकार:- पिंगल वाहन, मोर की गर्दन के समान रंग, तोमर मोर शक्ति के लिए हुवे दो भुजायें, सर्प का यज्ञोपवीत, अच्छा स्वर तीस योजन चौड़ा आकाश गामी क्रिया क्षत्रिय सुगंधित माला और अनुपयुक्त अग्नि के भी नगर को कंपाने वाला, , सोचे हुवे मनोरथ को सिद्ध करने वाला, , अनिमा आदि देवताओं की सिद्धि वाला और पुल्लिंग खकार का माहात्म्य है। गकार :- हसं वाहनं पद्मासनं माणिक्य भरणं इंगलिंक वर्ण हथं चेतवस्त्रं सुगंध माल्यानुं लेपनं कुकुंम चंदन प्रियं क्षत्रियं पुल्लिंग सर्वशांति करं शत योजनं विस्तीर्ण सर्वाभरणभूषितं द्विभुजं फलपाश धारिणं यज्ञादि देवता अमृत स्वादं प्रसन्न द्दष्टि गकारस्य शक्ति : || 3 || हंस वाहन, पह्यासन, माणिक्य का आभूषण (आभरण) इंगलिक वर्ण, हृदय को प्रसन्न करने वाला श्वेत वस्त्र वाला, , सुगंधिक्त मालाओं और अनुलेप से युक्त, कुंकुम और चंदन को पसंद करने वाला क्षत्रिय, पुल्लिंग, सब शांति करने वाला, सो योजन विस्तीर्ण, सब आचरणों से भूषित, फल और नागपाश के लिए हुये, दो भुजायें यक्ष आदि देवताओं वाला अमृत का स्वाद वाला और प्रसन्न दृष्टि गकार का माहात्म्य है । घ कार :- उष्ट्र वाहनं उलूकासनं द्विभुजं वज्र गदायुधं धूम्र वर्ण सहस्त्रयोजन विस्तीर्णहंस स्वरं कठोर गंधी धार स्वाद महाबलम उच्चाटनं छेदन मोहन स्तंभन कारि पंचाशद्यो योजन विस्तीर्ण नपुंसकं रौद्र शक्ति क्षत्रियं सर्व शांति करं महावीयदि दैवतं धकारस्य शक्ति ॥ ४ ॥ ऊंट वाहन, उलूकासन (उल्लू) वज्र और गधा धारण करने वाला दो भुजायें, धूम्र वर्ण सहस्र योजन विस्तीर्ण, हंस का स्वर, कठोर गंध वाला, नमकीन स्वाद वाला, महाबली उच्चाटन छेदन- मोहन और स्तंभन करने वाला, पांच सो योजन विस्तीर्ण नपुंसक रौद्रशक्ति क्षत्रिय सबकी शांति करने वाल महाबलवान देवता रूप धकार का माहात्म्य है। डकार :- सर्पाशिनं दुष्ट स्वरं दुर्द्दष्टि: दुर्गंधं दुराचारि कोटि योजन विस्तीर्ण सहस्त्र योजनोत्सेधं कार्पाशासनं रात्रि प्रियं षड्भुज मूशल गदा शक्ति मुष्टि भुसंडी परशु हस्तं नपुसकंयमादि दैवतं ङकारस्य शक्ति : ॥ ५॥ 959595951959591 २० P1595959591396951
SR No.090535
Book TitleVidyanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar
PublisherDigambar Jain Divyadhwani Prakashan
Publication Year
Total Pages1108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size24 MB
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