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________________ STSIDER152510585 विधानुशासन 015015015015015015 सर्प को खाने वाला, दुष्ट स्यरयाला, बुरी दृष्टि दुर्गंध दुराचारी, करोड़ योजन चौड़ा, सहरू योजन ऊंचा कार्यास (कपास) आसन याला, रात्रि तो पसन्द करने वाला, मूशल गदाशक्ति मुष्टि भुशुंडी और परशु लिए हुये, छ: भुजायें याला नपुंसक यम आदि देवता रूप हकार का माहात्म्य है। चकार :- शोभनं हंस वाहजं श्वेत वर्ण शतकोटि सहश्र योजन विस्तीर्ण वज़ वैडूर्यमुक्ताभरणभूषितं चतुर्भुजं शुभ चक्र फल पा धरं जटामुकुट धारिणं सुस्वरं सुमनः प्रियं ब्राह्मणी यक्षादि देवतं चकारस्य शक्ति ॥६॥ सुंदर हंस का वाहन, श्वेतवर्ण, एक सो करोड़ सहश्र योजन (दसलाख) चौडा, वज, वैडूर्य और मोतियों के आभूषणों से भूषित, शुभ चक्र, फल और कमल से युक्त, चार भुजायें याला, जटामुकुटधारी, अच्छे स्वर द्याला, सुमन पुष्प से प्रेम करने वाला, ब्राह्मणी और यक्ष आदि देवताओं वाला चकार का माहात्म्य है। छकार :-मकर वाहनं पद्मासनं महाघंटास्वरं उदद्यार्क प्रभंसहस्त्रयोजन विस्तीर्ण आकर्षणादि रौद्रकर्म करं सुमनः सुगंधं श्याम वर्ण दिव्याभरण भूषितं चतुर्भुजं चक्र वज्र शक्ति गदायुधं सर्व कार्य सिद्ध करंगरूड दैवतं छकारस्य शक्तिः ॥७॥ मकर याहन, कमल आसन बड़े घंटे का जैसा स्वर उदय हुवे सूर्य के समान कांतिवाला, सहस्त्र योजन विस्तीर्ण, आकर्षण आदि रोद्र कर्म करने वाला, अच्छा मनवाला, सुंगधित श्याम वर्ण दिव्य आभूषणों से भूषित चार भुजाओं याला, चक्र-यज-शक्ति-गदा आयुध को धारण करने वाला सब कार्यों को सिद्ध करने वाला गरुड़ देवता रूप छकार की शक्ति है। जकार :-शुद्रं पुल्लिंगं चतुर्भुजं पाशु पाश पद्म वज्र धरं अमृत स्वादं जटा मुकुट धारिणं मौक्तिक वजाभरण भूषितं वश्याकर्षणं सत्यवादि सुगंधप्रियं शतपय सन्निभं वरुणादि दैवतं जकारस्य शक्ति ॥८॥ शूद्र पुलिंग, परशु नाग, पाश कमल और वज लिए हुवे चार भुजाओं वाला, अमृत का स्वाद जटा और मुकुट धारण करने वाला, मोती और हीरे के आभूषणों से सुसज्जति, वशीकरण और आकर्षण करने याला सत्यवादी, सुगंध को पसन्द करने वाला, सौ कमलों के समान कांति और वरुण आदि देवता रूप जकार की शक्ति है। झकारः पुरुषं वैश्यं धर्मार्थ काम मोक्ष वश्याकर्षण कुबेरादि देवतं द्विभुजं शरव चक्र हस्त मौक्तिकं वजा भरणं भूषितं सत्य वादि पीतवर्ण पद्मासनं सुगंधि अमृत स्थाएं झकारस्य शक्ति JOLASLILILOPAPP_PSPILSNASLLADAS |॥९॥
SR No.090535
Book TitleVidyanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar
PublisherDigambar Jain Divyadhwani Prakashan
Publication Year
Total Pages1108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size24 MB
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