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औ. वृत्तासनं कोकवाहनं कुंकम गंध पीत वर्णं चतुर्बाहुं वज्र पाशधारिणं कषाय स्वादं श्वेत माल्यादि लेपनं स्थंभन शक्तिं शत योजन विस्तीर्ण द्विगुणायाम औकारस्य माहात्म्य
॥१४॥ गोल आसन, चकवा वाहन, कुंकुम गंध, पीतवर्ण, वन और नाग पाश धारण किये हुवे, चार भुजायें कषायेला स्वाद श्वेतमाला आदि पहिने स्तभन शक्ति सो योजन विस्तीर्ण और दुगुनी लम्बाई वाला औंकार का महात्म्य है।
अं:- पद्मासनं सितवर्ण नीलोत्पल गंधं कौस्तुभ आभरणं द्विभुजं पद्मापाशायुधं शुभगं टाज्ञोपवीतधारिणं प्रसन्न मति मधुर स्वादं शत योजन विस्तीर्ण द्विगुणायाम अंकारस्य माहात्म्य
॥१५॥ पद्मासन, श्वेतवर्ण नीलकमल के समान गंध वाला, कौस्तुभ मणि का आभरण, पद्म और पाश लिए हुए दो भुजायें, यज्ञोपवीतधारी, प्रसन्नमति, मधुर स्वाद सो योजन चौड़ा और दुगुना लंबा अंकार का माहारस्य है।
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अ:-त्रिकोणासनं पीताबरं कुकुमं गंधं धूमवर्ण कठोर स्वरं निष्ठुर द्दष्टि क्षार स्वादं द्विभुजं शूलायुधं निष्ठुरगतिं शोभनांकृति नपुंसकंशुभकर्म शासनं अःकारस्य
॥१६॥ त्रिकोण आसन, पीतवर्ण के वस्त्र वाला, कुकुम गंधवाला, धूम्र वर्ण कठोर स्वर निष्ठुर हष्टि, नमकीन स्वाद, दो भुजायें, शूल आयुध, निष्ठुर गति, अशुभ आकृति, नपुंसक और शुभकर्म बतलाना अः का माहात्म्य है।
. प्रथम वर्ग: क :- चतुरस्त्रनं चतुईतेन वाहनं पीतवर्ण सुगंध माल्यानुलेपनं स्थिरगति प्रसन्न द्दष्टिः द्विभुजं वज़ मूशलायुधं जटामुकुंट धारिणं सर्वाभरण भूषितं सहस्रयोजनः विस्तीर्णः दशसहश्र योजनोत्सेधः पुल्लिंग क्षत्रियं इन्द्रादि देवता स्तंभन शांतिक पौष्टिक वश्याकर्षण कर्म कार्यकारी ककरास्य शक्ति
॥१॥ चौखूटा आसन. चार दांत वाले हार्थी की सवारी करने वाला, पीत वर्ण सुगंधीत मालाओं और सुगंधित लेप सहित स्थिर गति प्रसन्न द्दष्टि दो भुजायें, यज और मूशल के आयुध, जटा और मुकुट धारी सब आभूषणों से भूषित सहसा योजन चौड़ा, दसहजार योजन ऊंचा, पुल्लिंग, दात्रिय इंद्रादि देवताओं वाला स्तंभन शांति पुष्टि वशीकरण और आकर्षण कर्म के काम करने वाला ककार की शक्ति है।
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