SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 24
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ SASRISRISIOSISTSIDE विद्यानुशासन 850MSDOISOSDISS मुकुट मोतियों का यज्ञोपवीत और कुंडल आभूषण, भाला और कमल लिये हुवे, दो भुजायें चमेली की गंध,पचास योजन चौडा,दुगुना लम्बा नपुंसक,दात्रिय और उच्चाटन रूप लकार का स्वरूप है। एकार जटा मुकुट धारिणं मोक्तिकाभरणं यज्ञोपवीतोपेतं चतुर्भुजंशंख चक्रपरशु पद्म हस्तं दिव्य स्वादं सुगंधि सर्वप्रियं शुभ लक्षणं वतासनं नपुंसकं एकारस्य माहात्म्य ॥११॥ जटा मुकुट धारी, मोती का आभूषण, यज्ञोपवीत सहित, शंख चक्र कमल और परशु लिए हुवे, चार भुजायें, दिव्य स्वाद, सप्रिय सुगंधि, सब का प्यारा, शुभ लक्षण गोल, आसन और नपुंसक एकार का माहात्म्य है। ऐकार त्रिकोणासनं गरडवाहनं द्विभुजं त्रिशूल गदाआयुधं अग्नि वर्ण निष्ठुर गंध क्षीर स्वादं धर्धर स्वरं दश योजनं विस्तीर्ण द्वि गुणायाम वश्याकर्षण शक्तिः ऐकारस्य माहात्म्य ॥१२॥ त्रिकोण आसन, गरूडवाहन, त्रिशूल और गदा के लिए हुवे, दो भुजायें, अग्नि वर्ण निष्ठर गंध, दूध का स्वाद, घर्घर स्वर, दस योजन चौड़ा, दुगुना लंबा, वशीकरण और आकर्षण शक्ति रखना ऐकार का माहात्म्य है। ओ :- वृषभ वाहनं तप्तं कांचन वर्ण सर्वायुध संपन्नं लोकालोक व्याप्त महाशक्ति त्रिनेत्रं द्वादश सहस्त्र बाहुं पद्मासनं महाप्रभु सर्वदेवता पूज्यं सर्वमंत्र संसाधकं सर्वलोक पूजितं सर्वशांति करं सर्वानुग्रहं विग्रहं क्षिति जल पवन हुताशनं यजमाना काश सूर्य चंद्रादि कार्य करिण कतार सर्वाभरणभूषितं दिव्य स्वादं सुगंध सर्वरक्षं शुभ देहं स्थावर जंगमाश्रमं सर्वजीवदयापरं परमं अव्ययं पंचाक्षरगर्भित ओकारस्य माहात्म्य ॥१३॥ बैल बाहन, तपे हुवे सोने के समान वर्ण, सर्व शस्त्रों सहित लोक और अलोक में व्याप्त महाशक्ति तीन नेत्र बारह हजार भुजा, पद्मासन महाप्रभुसब देवताओं से पूज्य सब मंत्रों को सद्धि करने वाला, सब लोक से पूजित, सर्वशांति करने वाला, सबके अनुग्रह रूप शरीर वाला, पृथ्वी, जल, पवन, अग्नि यजमान, आकाश, सूर्य और चन्द्र आदि के कार्य को करने वाला कर्ता, सब आभूषणों से युक्त दिव्य स्वाद सुंगध वाला, स्थावर और जंगम का आश्रय सब जीवों पर दया करने वाला, परम अव्यय और पांच अक्षर वाला ओंकार का माहात्म्य है। S5I0RRISTD357385101527 १८ PORTERISTOTSIDDRISTRIES
SR No.090535
Book TitleVidyanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar
PublisherDigambar Jain Divyadhwani Prakashan
Publication Year
Total Pages1108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy