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________________ C52525P विधानुशासन 95595959595 3 :- त्रिकोन आसनं कोक वाहनं द्विभुजं मुशल गदा आयुधं धूम्रवर्ण कठोर कटुं स्वादं शत योजन विस्तीर्ण द्विगुणोत्सेधं कठोर गंध वश्या कर्षणं उकारस्य माहात्म्यं ॥५॥ त्रिकोण आसन कोक (भेडिया, चकवा, मेढ़क) वाहन दो भुजायें मूशल और गदा आयुध को धारण करने वाला, धूम्रवर्ण कठोर और कटु स्यादा वाला, सौ योजन चौड़ा और दो सौ योजन ऊँचा कठोर गंध वशीकरण और आकर्षण करने वाला उकार का माहात्म्य है। ऊ :- त्रिकोणसनं उष्टवाहनं रक्तवर्ण कषाय रसं निष्टर गंधं द्विभुजं फलशूलधरं नपुंसकं शत योजनं विस्तीर्ण उकारस्य माहात्म्य ॥६॥ त्रिकोण आसनं ऊंट वाहन रक्त वर्ण कषाय रस निष्ठुर (कठिन) गंध फल और शूल के लिए हुवे दो भुजायें नपुंसक और सौ योजन विस्तीर्ण उंकार का माहात्मय है। ऋ :- लम्बा उष्ट्र स्वभावं उष्ट्र स्वरं शत योजन विस्तीर्ण द्विगुणायामं उष्टं र नागआभरणं सर्वविप्रं कारिणं ऊकारस्य माहात्म्यं ॥७॥ ऊंट का स्वभाव ऊंट के जैसा स्वर, सो योजन चौडा दुगना, ऊंट के मुख की सुगंध जैसा रस, नाग, आभरण और सबके विघ्न करने वाला ऋकार का माहात्म्य है। ऋः पद्मासन मयुर वाहनं कपिलवर्णं चतुर्भुजं शत योजन विस्तीर्ण द्विगुणायाम मल्लिका गंध मधुर स्वादं हेम आभरणं नपुसंकं ऋकारस्य माहात्म्यं ॥ ८ ॥ पद्मासन, मोर वाहन, कपिल वर्ण, भुजायें, सौ योजन चौड़ा, दो सौ योजन लंबा, चमेली की सी गंध मधुर स्वाद, हेम आभरण और नपुंसक ऋकार का माहात्म्य है। लकार:- हय स्वभावं हय स्वरं हा रसं शत योजनं विस्तीर्ण द्विगुणायामं शूरवाहनं चतुर्भुजं मूशल कुंत पद्म को दंड हस्तं कुवलयासनं नागाभरणं सर्व विप्रकारिणं नपुंसकं लृकारस्य माहात्म्यं ९ घोड़े जैसा स्वभाव, घोड़े का सा स्वर, घोड़े का सा रस सौ योजन घौड़ा दुगुना लम्बा, शूरवीर, वाहन, मुशल-भाला-कमल और धनुष लिए हुवे, चार भुजायें, कमल आसन, नाग आभरण सब विघ्नों का करना नपुंसक लृकार का माहात्म्य है । लकारः मौलि मौक्तिक यज्ञोपवीत कुंडलाभरणं द्विभुजं मल्लिका गंधपंचासयोजन विस्तीर्ण द्विगुणयामं नपुंसकं क्षत्रियं उच्चाटनं कुंत पद्महस्तं लृकारस्य माहात्म्यं ॥ १० ॥ 95959696959597 १७ 9519696959695951
SR No.090535
Book TitleVidyanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar
PublisherDigambar Jain Divyadhwani Prakashan
Publication Year
Total Pages1108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size24 MB
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