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________________ 95959595595 विद्यानुशासन 9595959595951 मंत्री यदि इसी का वायुमंडल और अग्निमंडल सहित ध्यान करे तो उसप्रकार के ध्यान से ग्रहों को स्तोभन होता है। और वह दुःखी होकर वह दब जाते हैं। इसी ऊपर के लोक में लिखे हुये भोजपत्र पर गोरोचन लिखकर जिस घर में पूजा जाता है वहां से विष और भूत ग्रह और कृत्या (डाकिनी) आदि ग्रह सब ही भाग जाते हैं। यदि इसको पिँडाक्षरों सहित पृथ्वीमंडल के मध्य में रखा जाये तो शस्त्र उठाने वालों व नागों का तुरन्त स्तंभन हो जाता है। पुराणो ज गणेशाप्त पुराण रस जिष्णु भिः सूक्ष्म बिंदु युतैः कृत्य कृतः सर्वफल प्रदः ॥ ९ ॥ पुराण (फ) अज (ॐ) गणेशा (य) आप्त (न) पुराण (फ) रस () जिष्णु (3) सूक्ष्म बिन्दु वाले मंत्र से पुरुष कृत कृत्य हो जाता है। क्ष्यां क्ष्यीं यूं क्ष्यों क्ष्यः अस्त्राय फट् चिंतामण्यभिधानः सांगोयं लक्ष जाप्प सं सिद्धः रक्त स्त्रि कोण गोयं मूर्द्धनि साध्यस्य सिद्धि कृद् ध्यातः इस चिंता मणि नाम के मंत्र को अंगो सहित सिद्ध करने से इसका साध्य के मस्त में त्रिकोण मंत्र के अंदर रक्त वर्ण का ध्यान करने से कार्य सिद्ध हो जाता है। आविष्टस्याध्यातो मूर्द्धनिग्रह निग्रहं तथा कुरुते ध्यातोयमधो नाभेः कुरुते जठरांनलं दीप्तं चिंतितं श्रवणयोः कृष्णः यः मरैः करोति वाधाय अक्ष्णांधन नील गेह स्थितस्तु शूल रिपोदरे । ग्रह से पीड़ित पुरुष के मस्तक में इसका ध्यान करने से यह ग्रहों का निग्रह करता है । यदि इसका नाभि से नीचा ध्यान किया जाये तो यह जठराग्नि को प्रदीप्त करता है। यदि इसका शत्रु के दोनों कानोभि काला ध्यान किया जावे तो यह उसको बहेरा बना देता है। आँखो में ध्यान किया जाने से अंधा करता हो और इसका पेट में नीला ध्यान किया जाने से यह शत्रु के पेट में दरद करता है। भू बीजं विन्दु युक्तं गणधर निधनं स्ताद्दशो लांत बीजं ताद्दग्व्याधे श्वमंत्रा भुवि समधिगता येन चत्वार ऐत 95959595PPSP २३१P5951951951959595
SR No.090535
Book TitleVidyanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar
PublisherDigambar Jain Divyadhwani Prakashan
Publication Year
Total Pages1108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size24 MB
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