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विधानुशासन
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उस मंत्र का जप कर
की रूई और अल(कार) की अथवा आक की रुई और कमल के धागे की बत्ती को घी में भिगोकर काजल पाड़कर आँखों में लगाने से वश्य काजल बनता
है ।
यो भवेदमात्यो होमाज्जतैरनेक कृष्ण तिलैः तंदुल लवणैश्यो मातुल कुसुमै स्तथा कन्या
॥ ९ ॥
मंत्र को जप कर अनेक काले तिलों का होम करने से राजमंत्री वश में होता है। चायल नमक और फूल के हवन से कन्या वश में होती है।
धतुरे के
दधि मधुकृत सिक्ताभि होमिदिभिमंत्रिताभिरतेन धामार्गव समिद्धि वश्यं स्यान्निरियल मपि भुवनं
॥ १० ॥ दही, मधु, और घी में भिगोकर धामरी (धिरचिट्ठा) की समिधाओं से मंत्र पूर्वक होम करने से समस्त लोक यश में ही होता है।
(धा मार्ग वोघोषकः स्यादित्यभर धीयातरोई )
गोरोचनयाष्टोत्तर शत मेकेनाऽभिमंत्र्य कल्कितया न्यस्तस्तिलकस्तिलक स्त्रितभुवन संघनन तिलकानां ॥ ११ ॥
गोरोचनं के कल्क पर एक सौ आठ बार मंत्र पढ़कर उसका तिलक मस्तक पर करने से तीन लोक वश में हो जाते हैं। यह तिलकों में अच्छा तिलक है।
स्थित्वा मध्ये सलिलं जपेदमुं सप्तरात्रं मथ मंत्र यस्मिन देशे तस्मिन् काले वृष्टिर्भवे न्महती
॥ १२ ॥
जिस देश में बारिश नहीं होती हो वहाँ जल के अंदर खड़ा होकर सात रात्रि तक मंत्र जपने से बड़ी
भारी दृष्टि होती है।
ॐ अजादिर्वन्हि जायांतो मेघोल्कायेत्य सावपि मंत्रो लक्ष जपातसिद्ध स्तस्यै वश्या तथा फल
॥ १३ ॥
आदि में अज (उ) अंत में वह्नि जाया (स्वाहा) लगाकर में धोल्काय पद सहित मंत्र एक लाख जपने से सिद्ध होता है इसका फल वर्षा करना होता है।
ॐ मेधोक्लाय स्वाहा
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