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STORIERSIRIDIOSDE विधानुशासन DECISIP505015055
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मालिनि
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महाया
जंमल
माणिमद्राय
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॥ गणेश विधान॥
अंत्ययो पांत्ययावथ पूर्वांतः कलयायुतः भक्ति पूर्वोनमोतोयं मंत्रो गणपते स्मतः
॥१॥ अंत के दो बीज और उसके पहले के दो बीज पहिली ही और अंत की कला से युक्त हो तथा आदि में भक्ति () और अंत में नमः होतो यह गणपति का मंत्र कहा जाता है।
ॐ ओं औं अं अः नमः
आदावाऽवाहनं कार्य गंधाचैरऽर्चनं ततः विसर्जनं ततः स्वै स्वै मगणपतये मुदा
॥२॥
ॐ अविघ्न काय एहि एहि भगवते त्रैलोक्य पूजिताय एहि एहि
सर्व कामार्थ साधकाट एहि एहि विन विनाशकाय स्वाहा || आह्वानन मंत्र पहिले आह्वानन करके गंध आदि से अपने अपने मंत्रों से पूजन करें और अंत में प्रसन्नता पूर्वक मंत्र से ही विसर्जन करें।
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