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SHIRISTRIEDISTRISRTE वियानुशासन HASIRISTOTSICS5215015
प्रणव पूर्व हो मांता इति पाठांतरं ॐ ह्रीं स्वाहा होम मंत्र है।
स्नात्वा पूर्व मंत्री प्रक्षालित रक्त वस्त्र परिधानः
सन्मार्जित प्रदेशे स्थित्वा सकली क्रियां कुर्यात् मंत्री पहले स्नान करके धुले हुए लाल वस्त्र पहन कर लिये हुए शुद्ध स्थान में स्थित होकर सकलीकरण की क्रिया करे।
पटकासन संस्थः समीपतर वर्ति पूजनद्रव्यः
दिग्वानितानां तिलकं स्वस्य च कुर्यात् सुचंदनत: फिर पर्यंकासन से बैठा हुआ अपने समीप पूजन के आठों द्रव्यों को रखे। चंदन से दिशारूपी बहुओं के अपने तिलक करे।
हां वामकरां गुष्टे तर्जन्यां हीं च मध्य मायां हूं
ह्रौं पुनरऽनाभिकायां कनिष्टकायां च हः श्चस्यात्॥ बायें हाथ के अंगूठे में हां तर्जनी में ही मध्यमा में हूं अनामिका में ह्रौं और कनिष्टा में हू: बीजों को स्थापित करें।
पंच नमस्कार पदैः प्रत्येक प्रणव व होमांतै।
पूर्वोक्त शून्य परमेष्ठी पदाग्रे विन्यस्ते पंच नमस्कार मंत्र के पदों से प्रत्येक के आदि में 5 और अंत में स्वाहा लगाकर पूर्वोक्त पांच शून्य बीजों से पंच परमेष्टि के पदों को लगावे।
शीर्ष वदनं हृदयं नाभिं पादौ च रक्ष रक्षेति
कुर्यात् ऐतै मंत्रः प्रति दिवसं स्वांग विन्यासं शिर मुख हृद नाभि और पैर वाचक पदों में रक्ष रक्ष लगाकर प्रतिदिन अंग न्यास करें।
ॐणमो अरहं ताणं हां पद्मावती मम शीर्ष रक्ष रक्ष स्वाहा ॐणमो सिद्धाणं हीं पद्मावती मम वदनं रक्ष रक्ष स्वाहा ॐ णमो आहरियाणं हूं पद्मावती मम हृदयं रक्ष रक्ष स्वाहा ॐ णमो उवज्जायाणं ह्रौं पद्मावती मम नाभिं रक्ष रक्ष स्वाहा ॐ णमो लोणं साहुणं हू: पद्मावती मम पादौ रक्ष रक्ष स्वाहा
CADRISTRICISTOROSOTE १९३ PASTOTATISTOROTECTICIST