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________________ 252525252595_drugoliera_Y50505PSRS25. त्रिंशूल, चक्र अंवंश, कमल, धनुष, बाण, फल और अंकुश युक्त आठ भुजाओं वाली कुंकुम के वर्ण वाली देवी त्रिपुरा कहलाती है। काम साधनी देवी के चारों हाथों में शंख पद्मफल, और कमल होता है उसकी कांति बंधूक (दोपहतिया) के पुष्प के समान होती है। और कुर्कुट नाग उसका वाहन होता है। त्रिपर भैरवी देवी के आठों हाथों में शंख, चक्र, धनुष, बाण, आखेट, तलवार, फल और कमल होता है। वह प्रकाशित भुजाओं और इन्दगोप (वीरबहुटी के समान रक्त कांतिवाली और तीन नेवाली होती है। ॥ अथ पद्मावती साधन विधानम् ॥ ब्रह्मादि ह्रीं लोकनाथं हैंकारं व्योम षांत मदनोपेतं पद्मे च पद्म कटिनी नमो तगोमूल विधेयं उं ह्रीं हैं ह्रक्ली पत्रे पद्म कटिनी नमः ब्रह्मा माया च हैंकारं व्योम क्लीं कार मूर्द्धगं श्री च पद्म हैं नमोमंत्र प्राहु विद्यां षडक्षरी ॐ ह्रीं हैं ह्स्क्लीं श्री पद्मे नमः वाग्भवं चित्तनाथं च हौकाएं सांत मूर्द्धगं बिंदु द्वय युतं प्राहुर्विबुधा स्त्र्ाक्षरी मिमां ॐ ऐं क्ली ह्सौं नमः वर्णात पार्श्व जिनो योरेफ स्तलगतः सधरऐन्द्र तुर्य स्वर स विंदुः सभवेत पद्मावती संझः वर्ण का अंतिम अक्षर ह पार्श्वनाथ भगवान का है नीचे लगने वाला र धरणेन्द्र का है और चौथा स्वर ई पद्मावती देवी का है। त्रिभुवन मोहकरी विधेयं प्रणव पूर्वनमनांता एकाक्षरीति संज्ञा जपतः फलदायिनी नित्यं ॐ ह्रीं नमः एकादारी मंत्र तीन लोक को मोहित करने वाली और तुरन्त फल देने वाली है। 25252525252525 · P/5952 ですですやす
SR No.090535
Book TitleVidyanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar
PublisherDigambar Jain Divyadhwani Prakashan
Publication Year
Total Pages1108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size24 MB
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