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________________ ORDISCISSISIOS25 विधानुशासन 525251215215DIES देव और देवी का पूजन करे । प्रातः- दोपहर और सांयकाल के समय गंध पुष्प धूप आदि की पांच बलि दें। इसके पश्चात अंत की तीन रात्रियों में प्रयोदशी-चतुर्दशी और पूर्णमासी को भगवान अरहंत की पूर्ण पूजा करके पूर्णमासी को इसका १००८ जप करे। इसके पश्चात ९००० चमेली के फूल इकट्ठे करके भगवान अर्हत की प्रतिमा के चरणों के मूल में एक एक फूल रखते हुए ९००० जाप करे तब सिद्धि होती है। इस विधि में प्रतिदिन पूजन करके अर्ध देवें। इसके पश्चात भगवति का पूजन करके साधुओं को भोजन दें। इसके पश्चात आचार्य का पूजन करें। ।। पद्मावती साधन विद्यानम्॥ तोतलात्वारिता नित्या त्रिपुरा कामसाधिनी देव्या नामानि पद्माया स्तथा त्रिपुर भैरवी ॥१॥ तोतला, त्वारिता, नित्या, त्रिपुरा, काम साधिनी और त्रिपुर भैरवी पद्मावती देवी के नाम है। पाशवज फलांभोज भत्करे तोतला हया शंख पद्मऽभयवर त्वारितारव्याऽरूण प्रभाव ॥२॥ पाशांकुशं प्रयोजात साक्षमाला करा बरा हंस वाहाणा जित्या जपा वलिवि मंडिता ॥३॥ शूल चक्राकुंशां भोज चाप बाण फलांकुशै राजिताऽष्ट भुजा देवि त्रिपुरा कुंकुम प्रभाव ॥४॥ शंख पर फलांभोज भतकरा काम साधिनी बंधुक पुष्प संकाशा कुर्कटोरग वाहना ॥५॥ शंरव चक्र धनुर्बाण रखेटरवङ्ग फलांबुजैः लस जेन्द्र गोपा भाज्यंती त्रिपुर भैरवी ॥६॥ हाथों में नागपाश, वज़ फल और कमल धारण करने वाली तोतला नाम की देयी कहलाती है। शंख, कमल, अभय तथा वरदान युक्त और रक्त कांति वाली त्वरिता नाम की देवी कहलाती है। नागपाश , अंकुश, कमल और मोतियों की माला युक्त चार भुजाओं याली जप की पंक्तियों से शोभित रक्त प्रभावाली और हंस के वाहन वाली देवी नित्या कहलाती है। CHECISIOISTRITICISIO5CTE १९१PSCERISTICTERISTRICTS
SR No.090535
Book TitleVidyanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar
PublisherDigambar Jain Divyadhwani Prakashan
Publication Year
Total Pages1108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size24 MB
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