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THISSIONSIDDHIDH विद्यासासन 1501501510151235015
ॐ नमो भगवते अरिष्टनेमि भट्टारकाय तीर्थनाथाय त्रेलोक्य प्रकंपनाय ह्रीं शिरवां रक्षिकार हुं फट स्वाहा । ॐ नमो भगवते अरिष्ट नेमि भट्टारकाय तीर्थनाथाय त्रैलोक्य पूजनाय द्रावा द्रावय वजे वज्र कवचाय हन हन दह दह कवचाय हुं फट स्वाहा ॐ नमो भगवते अरिष्ट नेमि भट्टारकाय सर्व तीर्थ कराय सर्व दुष्टग्रह छेदनाय सर्वग्रहान हन हन दह दह हुं फट स्वाहा अस्त्र ॐ नमो भगवती आम्र कुष्मांडी हदयं रक्षरक्ष हुं फट स्वाहा हृदयं ॐ नमो भगवती आम्र कुष्मांडी शिरो रक्ष रक्षं हुं फट् स्वाहा शिर ॐ नमो भगवती आम्र कुष्माडी ह्रीं शिरवां रक्ष रक्ष हुं फट स्वाहा शिरवा ॐ नमो भगवती आम्र कुष्मांडी हर हर ह्रीं वज्र कवचाय हुं फट स्वाहा कवचं ॐ नमो भगवती आम्र कुष्मांडी सर्वदुष्ट ग्रह निग्राहनिति तवरवटकांहुंफट स्वाहा अखं ॐ नमो भगवती आम्र कुष्मांडी ॐ ज्यंत गिरि शिरवर निवासिनी सांग सुंदरी वामरूपधारिणी पूर्वद्धारं बंधामि अग्निद्वार बंधामि वायव्य द्वार बधामि उत्तर द्वार बधामि ईशान द्वारं बंधामि उद्धर्वद्वारं बंधामि अधोद्वार बंधामि शिर द्वारं बंधामि कुक्षि बंधामि सर्वप्रदेशं बंधामि आत्म रक्षे भूत रक्षे पिशाच रक्षे चोर रक्षेसळ रक्षे काम रक्षे स्वाहा वज़ प्रकार अग्निप्रकार: प्राकारं भूमि बंध आकाश बंध दिगबंध चोर बंध
आत्म रक्षा सर्व रक्षानाम विद्या। इसप्रकार आन कुष्मांडी देवी का पूजन करके अंग न्यार करने में प्रत्येक अंग के नाम के साथ अंग को छूना चाहिये। कवच में मंत्र को बोलकर हाथों को अस्त्र के आकार का बनावे हृदय बोलकर हृदय को छूवे शिखा को छूये चोटी को छूवे कवच का आकार बनावे आदि। मंत्र बोलकर रक्षा के लिये दिशाओं को बांधकर अपने चारों तरफ वजमय कोट का ध्यान करे। इत्यादि मंत्रः ॐ नमो भगवति आम्र कुष्मांडी अंबा अंबोल अंबिके स्वाहा।
अथमूल विद्या ॐ नमो भगवति सर्व पाप भक्षके स्वाहा (आह्वानन मंत्रः) ॐ नमो भगवति आम्र कुष्मांडी विसर्जनाहि स्वाहा (विसर्जन मंत्रः) ॐ नमो भगवति आम्र कुष्मांडी महायक्षिणी ईश्वरी सर्वजन मनोहरी सर्वमुख रंजिनी सर्वराजवंश करिवशमानय वशमानय स्वाहा सर्ववश्य मंत्रः ॐनमो भगवति आम्र कुष्मांडीईश्वरी सर्व स्त्र्याकर्षणी हुं फट स्वाह आकर्षणमंत्रः CASTOISSISTRICISTRI5T075 १८९PISTOISTICISESSIOISTORICESS