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SSIOTSIRIDIODOISIS विद्यानुशासन PASIRISTOTSIRISTRIDIOSS
आ स्थान सिंहासन पाववर्तिदेव्या मगेन्द्रः सुर वाहनेन्द्र क्षणेन निविध गति दशापि दिशोराशो राशि रिवाभ्युपैति ॥२६॥
विडंबयन कोपि विषकोपि स्वयं परिहास रसेन युक्तः देव्या पुर स्ताय नृत्य तीह चेष्टि जनेन तहतोपवीतः ॥२७॥
काचित्प्रतिहार पदेन युक्ताः विसर्जना वंध नितंब बिंबा (चंडातकं) यक्ष स्त्रियः रवा लातभि युक्ता:कुर्वत्यं शून्यां प्रतिहार भूमिं ॥ २८ ॥
कुब्जा च कांचीपटवास चूर्ण मंजूषिकां पार्श्वगतां विमर्ति काचित्त्व तांबूल करांक हस्त सं सेवते संसादिवां मनागी ॥२९॥
काचित्सरची कल्पतरू प्रसूनै रम्लान मालां रचयत्पनल्पां पर्यत भूमौमणि वेदिकायाः पिनष्टि गंधान वनोनिषिणां ॥३०॥
मृत्यंतिकाचि ललितांग हारा गायति काश्चित्कल कंठ कंठा वीणादि काश्चि न्मधुवादयंति काश्चिन्निषी दंति समंत तोपि ॥ ३१ ॥
अनन्य साधारण भक्ति भाजाम स्माद्दशामीप्सित सिद्धि हेतो। नामानि पूर्वैः रवलु कीर्तितानि सकीर्तियामो वयमंबिकायाः ॥ ३२ ॥
कलन्नपूर निषि कल सेन्द्र गामिनी करभो रुवराहीहानिम् नाभिस्तनूदरी
11३३॥
चक्रवाक स्तनी पद्म हस्ता रूचिर कंदरा: बिंबोष्टि कुंद दशाना कनत्कन कुंडला
॥३४॥
तंगनासा सरोजाक्षी नतभू नीलि कुंतला।
संपूर्ण चंद्र वदना सौवर्ण मुकुटांगदा SECRECIPIECTARTE R८५PIDIOSOTROPERTIES
॥३५॥