________________
CHEARISTOTSTRISRIDE विधानुशासन DISTRISISISTRISTOISTRIES इस प्रकार वर्गों का जाति सामर्थ्य मित्र शत्रु और लिंग का वर्णन किया गया है। अब मंत्रों के लक्षण कहे जाते हैं।
बीज मंत्राश्च मंत्राश्च माला मंत्रा श्चते त्रिधा
आरभ्य का क्षरं मंत्रास्य बीजान्यान वाक्षरात् ॥२५॥ मंत्रों के तीन भेद हैं। बीज मंत्र १ मंत्र र मंत्र और माला मंत्र ३ एक अक्षर से लगा कर नौ अक्षर तक के मंत्रों को बीज मंत्र कहते हैं।
आ विंशत्यक्षरान् मंत्राः समारम्य दशाक्षरात् टोविंशत्यक्षराद् उध्वमंत्रा माला इति स्मृताः
॥२६॥ दस अक्षर से बीस अक्षर तक को मंत्र एवं बीस अक्षर से अधिक अक्षर वाले को माला मंत्र कहते
इतराणितु बीजानि तस्ट सिद्धति सर्वदा मंत्राख्या मंत्राणो मंत्राफलंददति यौवने
॥२७॥ बीज मंत्र सदा ही सिद्ध हो जाते हैं। मंत्र नाम वाले मंत्र, मंत्रों की यौवनावस्था में ही फल देते हैं।
॥अंत मेव यसि प्राहु र्माला मंत्राफल प्रदाः॥ आषोऽशाक्षरात्युमालाम्मंत्राः कल्पा स्ततः परे
अत्रामुत्र च कल्पा फलाया मालाः स्युर त्रैव ॥२८॥ माला मंत्र वृद्धावस्था में फल देते हैं। सोलह अक्षरों तक माला और उससे आगे कल्प कहलाते हैं। कल्प इस लोक और परलोक दोनों स्थल में ही फल देते हैं।
इति व्यावक्षते मंत्र विकल्पं गुरवः परे स्वज्ञान मौसमुत्तीर्ण मंत्रवाद महार्णवाः
।।२९॥ इस प्रकार उत्तम गुरुओं ने मंत्र वाद रूपी समुद्र को अपनी ज्ञान रूपी नौका (नाव) से पार करके मंत्र के भेद कहे हैं।
स्त्री पुं नपुंसकत्वेन मंत्रा स्ते त्रिविधामताः
स्वाहा शब्दावसानाः स्युर्ये मंत्रास्तान् विदुः स्त्रियः ॥३०॥ मंत्रों के भी तीन भेद हैं। स्त्री, पुरुष और नपुंसक। जिन मंत्रों के अंत में स्वाहा शब्द होता है वह स्त्री मंत्र होते हैं। CISIOISTDISTRISTRISTRASTRA १३ P5051DISTRISEDICISTOISS