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________________ ऋ ऋल ल ए ई अकवर्गा ध्यत्रयोवर्णा वर्गाय चतुर्थकाः तवांट द्विवों च पवधियोपिच ॥१९॥ ( क ख ग ट ठ ड ढ त थ प फ ब ) अर्थात कवर्ग के आदि तीन वर्ण र वर्ग के आदि के चार वर्ण तवर्ग के आदि के दो वर्ण और पवर्ग के आदि के तीन वर्ण यह बारह व्यंजन और त्रिचतुर्थी चवस्थि तवर्गास्य चतुर्थकः पवर्गास्यांति मोत्य स्य शवगर्गस्य द्विक त्रिको ॥२०॥ च वर्ग के तीसरा और चौथावर्ग ज झ तवर्ग का चौथा वर्ग ध पवर्ग का अंत का वर्ण म और शवर्ग का दूसरा और तीसरा वर्ण ष स (ज झ ध म ष स) कूटाक्षरेण ते सर्वे मिलितैकोन विशंतिः पुलिंग संज्ञिनो वर्णा मंत्र व्याकरणे मताः ॥२१॥ ( क ख गट ठ ड ढ त थप फ ब ज झ घमष स क्ष) २१और ा वर्ण इन १९ वर्णो का मंत्र व्याकरण में पुल्लिंग संज्ञा वाले वर्ण माने जाने गये हैं। उष्मणगाविसों वर्णपतवाद्यक्षर ट्रां यवर्गात्यं द्विवर्ण च स्त्रीणां पंचाक्षराणिवै ॥२२॥ उष्मणा शवर्ग के आदि का वर्ण श चवर्ग के आदि के दो वर्ण च छ और यवर्ग के अंत के दो वर्ण ल व अर्थात् श च छ ल व इन पांचों को स्त्री लिंग माना है। श च छ ल वा : स्त्री लिंगाः। क प वर्ग तुर्य वर्णावितंस्थाद्यक्षरद्वयं सांत पंचम वर्ग तृतीयोज ३ वांस्तषंढाः स्युः ॥२३॥ कवर्ग का का चौथा वर्ण घ पवर्ग का चौथा वर्ण भ और अंतस्थ वर्ग के आदि के दो वर्ण (यर) और हकार और पांचवें वर्ण का तीसरा वर्णट और जण ङ यह नो वर्ण नपुंसक लिंग के माने गये हैं। घम य र ह य ज णडन अर्थात अ उऊ ऐ ओ औ अंक ख ग ट ठ ड ढ त थ प फ भ ज झ घ म ष स क्ष इस तरह सात स्वर और १९ व्यंजन कुल २६ अक्षर पुलिंग हैं। अ इ और श च छ व ल न कुल दो स्वर पांच व्यंजन कुल ७ अक्षर अक्षर स्त्री लिंग है। ऊ ऊ ऋ मा ल ल ए अ: और घ भ य र ह बन जण इनपुंसक लिंग अक्षर है। जाति सामथ्र्य मित्रारि लिंग मित्थं प्रकीर्तितं वर्णानामथ मंत्राणां लक्षणं च प्रवक्ष्यते १॥२४॥ CASIOISTORIDISTRICTSIDE १२ PADRIDICISIODICISCISIONS
SR No.090535
Book TitleVidyanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar
PublisherDigambar Jain Divyadhwani Prakashan
Publication Year
Total Pages1108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size24 MB
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