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CHIDISTRICTOISTRISP5 विधानुशासन HISTOSTERISTOI5015
ॐ ल्वयूँ हल्ब्यू भल्व्यू म्ल्यू धवल वर्ण सर्व लक्षण सम्पूर्ण स्वायुध वाहन चिन्ह समेते सपरिवारे ज्वालामालिनी ही क्लू ब्लू द्रां दीं हां आं क्रों क्षी अत्र
अवतरावतर संवौषट् ।। आवाहनन मंत्रः पूर्वका ग्रहन करें।
अत्र तिष्टतिष्टठः ठःस्थापन मंत्र अनमम सन्निहिंताभवभवषट ( सन्निधिकरणंमंत्र) पूर्व का ग्रहन करें।
इदं मध्य पायं गंध अक्षतं पुष्पं दीपं धूपं चकं फलं वलिं गह्र गृह नमः अर्चना मंत्र: उँ दम्ल्यूँ हल् मल्ल्यूँ म्ल्यू यवल वर्णे सर्व लक्षण संपूर्ण स्वायुधवाहन चिन्ह समेते सपरिवार हे ज्वालामालिनी ह्रीं क्लीं ब्लूंद्रां द्रीं हां आंकों क्षी स्व स्थानं गच्छ गच्छ जःजः जः (विर्सजन मंत्र)
इति ज्वालामालिनी पूजा उत्स्वानुमंव में नश्यतुं संदरीत संवरच योनि मुद्रां व
बूयाद् विशिष्ट समये महामहिष वाहने हत्यं ॥५॥ इन उपरोक्त मंत्रों को बोलता हुआ विघ्नों को नाश करता हुआ योनि मुद्रा को बार बार दिखलाकर अंत में महामहिष वाहने यह भी कहें
अथ ब्राह्याद्यष्ट देवतानां पूजा ब्राह्यभ्यादि देवतानां तु पूजा पिंडैः समंध्रुवं
ब्राह्यादिद्यादिभिः सम्यक् कुर्यात्तन्नामतः सुधी: ब्राह्मी आदि आठ देवियों का पूजन भी उनके नाम से पिंड लगाकर पंडित पुरूष करे।
ॐ ह्रीं क्रों म्ल्यू पद्म राग वर्णं सर्व लक्षण संपूर्ण स्वायुध वाहन समेते सपरिवारे हे ब्राह्माणि ऐहि ऐहि संवोषद आह्वननं । ॐ ह्रीं तिष्ट तिष्ट ठः ठः स्थापनं ॐ ह्रीं मम सन्निहिताभय भव वषट सन्निधिकरणं ॐ ह्रीं इदं मां पाद्यं गंधमक्षतं पुष्पं धूपं दीपंचरुंफलं बलि गृह गृह स्वाहा ॥ (पूजा मंत्र) ॐ ह्रीं क्रों स्वस्थानं गच्छ गच्छ जःजःजः (विसर्जन मंत्र)
इति ब्राझ्या पूजा
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