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________________ SSCISEASOISTRICT विधानुशासन HSDISPIRICISI2I5055 अथ ग्वालिन्या विधान परं स्तोत्रं श्री मदैत्यों रूगंद्रामर मुकुट तटा लीढ पादार विंदे । माद्यन्मातंग कुंभ स्थल दलन पटु श्री भगन्द्राधिरूढे ज्वालामाला कराले शशि का धवले पर पत्राय ताक्षी। ज्यालामालिन्यऽभीष्टे प्रहसित वदने रक्ष मां देवी नित्यं ॥१॥ ह्रां ह्रीं हूँ हौं महे चे क्षण रूचि रूचिरागां गदै देव मं हूं वं संत बीज मंत्रै कत सकल जगत क्षेम रक्षा भिधाने क्ष क्षीं हूं मैं समस्त क्षिति तल महिते ज्वालिनि रौद्र मूर्ते वै क्षों सौं क्ष क्षः बीजै रहित दश दिशा बंधने रक्ष देवि ||२॥ हंकार राव घोर भ्रकटि पुट हट दक्त लोलेक्षणाऽग्नि रायवोर ज्वालाविक्षेप लक्ष क्षपित निज विपक्षों दया क्षुण रक्षे भास्वत्कांची कलापे मणि मुकुट हट ज्योतिषां चक्रवाल श्वं चं डांभु मन्मंडल समर जया पाल्दिके रक्ष देवी ॥३॥ ॐही कारोप युक्तं र र र र र गं ज्वालिनी संप्रयुक्तं ह्रीं क्लीं ब्लू ट्रां द्रीं सरेफ विपद मल कलापं च कोद्भासि हूं हूं घुघु घूमांधकारिण्य रियल मिह जगद्देवि दैत्याशुवश्यम षोमें मंत्रं स्मरंत प्रतिभय मथने ज्वालिनी मामवत्वं ॥४॥ ॐहीं क्रौं सर्ववश्यं कुरू कुरू सर संक्रामणी तिष्ठ तिष्ठ हूंहूं हूं रक्ष रक्ष प्रबल बल महाभैरवा राति भौते द्रां द्रीं दू द्रावय द्रावय हन फट फट वषट बंध बंध स्थाहा मंत्रं पठंतं त्रि जगदभि तुते देवि मां रक्ष रक्ष ॥५॥ हं शं श्वी क्ष्वी सहसः कुवलय वकुले भूरसंभूतधात्रि श्वी झूहूं पक्षि हं हं हर हर हर हुं पक्षि पः पक्षि को वं झं हंसः परं झं सर सर सर सूं सत्सुधा बीज मंत्र मा ज्वालामालिनी स्थावर विष संहारिणी रक्ष रक्षः ॥६॥ SHEDISCIPESIRECISIOTS १६७850DRISTOTSIRIDIOBODY
SR No.090535
Book TitleVidyanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar
PublisherDigambar Jain Divyadhwani Prakashan
Publication Year
Total Pages1108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size24 MB
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