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________________ SSSDISTRISTOTSTRI525 विधानुशासन 9851015DISEASRIDESI अर्थ :- मंगला त्वरिता नित्या कौमारी किनरी असुरा धनदादेवी गायत्री सरस्वती सावित्री गांधर्वा राक्षसी भैरवी भूतकेशी पिशाचेषी शरव पनिधि अक्षयादि निधि शांते कामधेनु स्तथा मती सौपर्णा चन्द्रमाला च वणरोपिणी शंकरी ॥११॥ काली च पापहारी च श्रयस्करी यशस्करी कल्यानी मदनोन्मादी मातंगी च पुलिदिनी ॥१२॥ अर्थ :- अक्षया आदि निधि शांता, कामधेनु, अमृती सौपर्ण चन्द्रमाला, वृणरोपिणी, शंकरी काली पापहारी, श्रेयस्करी, यशस्करी, कल्यानी, मदनोन्मादी, मातंगी, पुलिंदिनी मोहा कर्ण पिशाची स्यान्मोहिनी शंबरी परा चंडाली नागदत्ता च स्तंभा च स्तंभिनीनुता ॥१३॥ जभा च जंभिनी. चैव पादया रूधिनी तथा ब्रह्माणी सूर्यपुत्री च महैश्वर्या ततः पराः अर्थ : मोहा कर्ण पिशाची मोहिनी शंबरी चंडाली नागदता स्तंभा ॥१४॥ स्तंभिनी जंभा जंभिणी पादधा धिनी ब्रह्माणी सूर्यपुत्री महेश्वरी कौमारी वैश्रवी देवी वाराही वडवा मुरवी इन्द्रणी नुत चामुंडी लक्ष्मी श्री योण नामका ॥ कौमारी वैश्रवी देवी वाराही वइवामुरवी इंद्राणी नुत चामुंडी लक्ष्मी श्री घोण ततोभूमंडलं दद्यात ष्ट नाग समन्वितं देवी यंत्र मिदं श्रेष्ट सर्व कार्येषु पूजितं ।। इति अर्थ : इसके पश्चात आठों नाग युक्त पृथ्वी मंडल बनाये या श्रेष्ठ देवी यंत्र सब कार्यो में पूजा जाता
SR No.090535
Book TitleVidyanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar
PublisherDigambar Jain Divyadhwani Prakashan
Publication Year
Total Pages1108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size24 MB
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