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________________ 050505050505_idenggara YSUSEK 15051 अर्थ : इसके पश्चात लक्ष्मी को सोलह पत्रों से घेर देवें जिनमें अति (ॐ) और स्वाहा सहित निम्नलिखित देवियाँ लिखी हैं। जया च सर्व शास्त्री च विजया यक्ष देवता । जिता पद्मावती चान्या सिद्धा यन्य पराजिता अर्थ :- जया सर्वशास्त्री विजययक्ष देवता अजिता पद्मावती सिद्धायिनी अपराजिता सुंदरी सुभगा प्रीति सम्मोहनि मनोहरी सुतारा कामरूपीच वाह्नि रूपी तथा परा ॥ ४ ॥ ॥ ५॥ तस्यांते च लिखेत् पद्म द्वात्रिशद्दल शोभितं तत्र कादीन प्रयोक्तव्यं तेजो भक्ति विनय बीजं स्वाहांतरात्मकान इति ॥ ६ ॥ अर्थ :- सुंदरी, सुभगा, प्रीति सन्मोहिनी, मनोहरी, सुतारा, कामरूपी और वह्नि रूपी और अपरा इसके पश्चात बतीस दलों वाला कमल बनावे उनमें ॐ और स्वाहा सहित कन्यादिकों को लिखे। दलोपांत लिखे त्सम्यक् देवी चक्रं सनातनं । भक्तयादि होम पर्यंतं चक्राकार व्यवस्थितं ॥७॥ अर्थ :- इन दलों के पश्चात भक्ति (ॐ) से आदि करके अंत में स्वाहा लगाकर गोलाकार में प्राचीन देवी चक्र को लिखे । मंगला त्वरिता नित्या कौमारी चैव किन्नरी । असुरा धनदादेवी गायत्री च सरस्वती भौमार्किवारिणी चादौ विद्युन्मालाच जृंभणी । कात्यायनी च विशा भृकुटी युवशार्श्वती ॥ ८ ॥ अर्थ: आदि में भोमार्क वारिणी विद्युन्माला जृंभणी कात्यायनी विद्येशा भृकुटी ध्रुव शास्वती ॥ ९ ॥ सु सावित्रीच गांधर्वा राक्षसी भैरवी तथा भूत केशी पिशाचेशी शंखा पद्मनिधि परं 959595959bees १५९P96959595959 ॥ १० ॥
SR No.090535
Book TitleVidyanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar
PublisherDigambar Jain Divyadhwani Prakashan
Publication Year
Total Pages1108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size24 MB
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