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SERI5DISEDICTE विधानुशासन 195250ISTRISDISODE शब्दादि मंत्र:
पूर्वादित स्तदा लब्ध प्रतवासीय खपरे तप्तं रखदिरजागिरैःरिष्टा कृष्टिः सतां मतां ।
||२६॥ इसको श्मसान के अप्पर पर पूर्वादि की तरफ लिखने से और खेर के अंगारों पर तपाने से इच्छित स्त्री का आकर्षण होता है।
- लोकपति टांत स्वर परियत मालिरव्य नाम संयुक्तं
अष्ट दल तस्य वहि स्तेषु च मायाग्नि पुरमेव ॥२७॥ लोकपतिहीं कोटांत (ठ) और स्वरों से घेरकर नाम सहित लिखे उसके बाहर आठ दल कमल बनावे माया ह्रीं लिखकर बाहर अग्नि मंडल बनाये।
निंब रस रोचना विष तन्मूत्रित मूर्तिका मलै विलिरवेत्
चित्रक पुत्तलिकाया हृदये तन्निक्षद्भूर्जे ॥२८॥ इस यंत्र को नीम के रस गोरोयन विष उस मूर्ति के मूत्र और अन्य मलो से भोज पत्र पर लिखकर उस पुतली के हृदय में रख दें।
खदिरांगारस्यो परि वद्धांतां तापये च्च पत्तलिकां
ध्यायन भीष्टं वनितां क्षिप्रतामानये देखें। फिर उस पुतली को बाँधकर घर के अंगारों पर तपावे तो शीघ्र ही इच्छा की हुई स्त्री आ जाती है।
SSIOSCASTOTSTOISODO १५७ PISIPISTRISTOTSIDISIOSDESI