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विद्याभुशासन 99999595
आभूषणों से भूषित, खुले हुये केशों वाली, दिगम्बरी, कृष्ण वर्णवाली, चार भुजाओं वाली मेरी रक्षा करे। हाथों में फल सुवर्ण के कलश वाली, दो डमरू लिये हुवे सेभंल के दंड के समान दोनों जंघाओं वाली तीन लोक से वंदनीय, काम चांडाली देवी जपने वालों के वश में हो जाती है ।
इत्यमुना स्तोत्रेण स्तुत्वा स्वेष्ट प्रसिद्धये मंत्री ध्याये चैवं रूपां देवीं तां काम चांडाली
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मंत्री काम चांडाली देवी की स्तुति करता हुआ उपरोक्त रूप से अपने कार्य सिद्धि के वास्ते उसका ध्यान करे।
पट्टे स्वरूपं प्रविलिख्यं देव्याः वनावृतं
तद्वरकेतकानां
द्विकाधिकाशिति वलार्द्धमानं जपं च्च साष्टाशत मेव पुष्पैः ॥ १० ॥
देवी के स्वरूप को एक पट्ट पर या वस्त्र पर लिखकर उसके सामने बैठकर केतकी के फूलों से बयालीस का आधा और आठसौ अर्थात आठ सो इक्कीस जप करें।
ततो दशांस प्रकरोतु होमं घृतादि मिश्रित गुग्गुलेन ददाति देवी वरमात्म चित्ते यच्चिंतितं तद्भुवि साधकाय
॥ ११ ॥
इसके पश्चात गूगल में घी आदि मिलाकर दसवाँ अंश अर्थात बयासी आहूतियां देकर होम करने से देवी साधक को उसके मन में सोंचे हुए सब पदार्थों को देती है ।
भूम्यामपतित गोमयी लिप्ते धरणी तले सु चतुर स्त्रे स्थापयितव्ये देव्याकांचन मय पादुके तत्रा
॥ १२ ॥
पृथ्वी पर न गिरे हुए गाय के गोबर से लिपी हुई चौकोर भूमि पर देवी की स्वर्ण रूप पादुकाओं की (खडाऊँ) की स्थापना करनी चाहिए।
द्विक युत चत्वारिशंत्पूपान्यित पूगपत्र दीपायैः वस्त्र फल कांचाना गुरुचरणं पूजये तत्र:
फिर बयालीस पूर्वो सुपारी पत्र वस्त्र फल और सुवर्ण आदि से गुरु
जिन समय गुरुपदांबुज भक्ति मते देा एष मंत्रोयं दास्यसि कुद्दष्टये चेत्मुनि वद्य पापं भविष्यति ते
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के चरणों की
॥ १४ ॥
करें।
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