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________________ SCISCERISTRIP विधानुशासन 9850505PISODERN काम चांडाली विधान वर्द्धमान जिनेन्द्रस्य यक्षी सिद्धायका मता तद्देय पर नाम्रा च काम चांडालि संज्ञका ॥१॥ श्री वर्द्धमान जिनेन्द्र देव की यक्षी सिद्धाय का जो सब इच्छाओं को पूर्ण करती है। उसका दूसरा नाम काम धांडाली भी है। अथ: मूल मंत्रोद्धारः उकार लोकनाथं गजवशं करणं पाश शून्यानि पंच रां री रूं रौं र:च युग्मं मधु श्री मथ नमनः ॥२॥ स्थाक्षरं कामं राजं ब्लू कारंटू च हां हुं तदनुं लिरव महारौद्र कर्मोक्त बीजं ज्ञातव्यो मूल मंत्रोयं ॥३॥ विनय विष नमोंतान्वितः सोपदेशः उँकारं लोकनाय (ही) गजवशकरणं (क्रौं) पाश (आं) शून्यानि पंच युग्मं (हा ही हूं हौं हः) रां री रुं रौ रः) मधु मथ नमन (श्री ) स्थाक्षरं (स्याहा सहित) कामरज (कली) ब्लकारं (ब्लू) यूँ (!) हां हुं बीजं महारौद्र कर्मोक्त बीज (घे घे) विनय (3) विष नमः याला उपदेश सहित मूलमंत्र है। ॐ विष नमः ॐ ह्रीं क्रौं आं हां ह्रीं हूं हौं हःगरी रौं र: श्री क्ली ब्लूं यूँ हां हुघे घे स्वाहा इति मंत्रोद्धारः ब्रह्मादि नमो भगवति देवी नामाग्रपंच शून्यानि हत शीर्ष शिरवा कवचं चास्त्रं रक्ष द्वयं होम ॥४॥ कुर्यादे तै मंत्र क्रमेण पचांग रक्षणं मंत्री: दिव्याराधन काले प्रतिदिवेसं पीत सत्पुष्प ब्रह्म (ॐ) को आदि में लगाकर नमः भगवति काम चांडाली देवी के आगे पंच शून्य बीज ह्रां ह्रीं हूँ ह्रौं ह्रः शीर्ष शिखा कवच और अस्त्र में लगाकर दो बार रक्ष रक्ष और स्वाहा लगाकर अंग न्यास करे। मंत्री देवी की प्रतिदिन पीले पुष्पों से आराधना करते समय इन मंत्री से अपने पांचों अंगो की रक्षा करे। S5I0RSDISEXSTOISTRISION १५१ PISTRIS101521510501525
SR No.090535
Book TitleVidyanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar
PublisherDigambar Jain Divyadhwani Prakashan
Publication Year
Total Pages1108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size24 MB
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