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________________ F 95959595 विद्यानुशासन 95959505‍5‍5 वर्ण रंग ब्राह्मणवर्ण श्वेत अक्षर स्वर कवर्ग चवर्ग टवर्ग तवर्ग पवर्ग यवर्ग रक्त शवर्ग ब्राह्मण शेत् उल नोट :- मंत्र व्याकरण के अनुसार ई ऊ लृ लू का रंग पीत व जलमण्डली है। 'ष' का पीत रंग व आकाशमण्डली कहा है। अर्थ - क्षत्रिय वैश्य शूद्र शूद्र वैश्य क्षत्रिय रक्त पीत मण्डल जलमण्डली कृष्ण कृष्ण पीत अग्नि क्षिति वायु वायु क्षिति अग्नि चवर्ग पवर्गो टवर्ग तवर्गों प्रतिपन्त धमी रविशनिवारे द्विज सिद्धिरथ चतुथ्यांच च द्वादश्यैकाद्श्योः सितवारे भूपसिद्धिः स्यात् ॥ ६ ॥ वर्ग (च छ ज झ ञ) और पवर्ग ( प फ ब भ म ) वैश्य वंश वाले और पीत कहलाते हैं। वह पृथ्वीमंडल में स्थित हैं टवर्ग ( ट ठ ड ढ ण) और तवर्ग ( त थ द ध न ) शुद्ध और कृष्ण कांति वाले होते हैं। और वायुमंडल में स्थित द्विज मंत्र की सिद्धि प्रतिपदा नवमी रविवार और शनिवार को होती है। क्षत्रिय मंत्र की सिद्ध एकादशी द्वादशी चतुर्थी और सोमवार को होती है। कुज वारे पंचम्यां षष्टयां च चतुर्दशी त्रियोदश्योः वैश्याक्षर संसिद्धिः स्तंभन कमंत्र कर्तव्यं || 19 || वैश्य मंत्रों की सिद्धि कुजवार (बुधवार) मंगलवार पंचमी षष्टी चतुर्दशी त्रयोदशी की होती है। और इसमें स्थंभन कर्म करना चाहिये। गुरुवारे पर्वयुगे सप्तम्यां शुद्र जाति संसिद्धिः वह्नि स्तंभन शांतिक पौष्टिक कर्माणि कृत्यांनि : ॥ ८ ॥ गुरुवार पर्व अष्टमीका दिन और सप्तमी को शुद्ध बीज की सिद्धि होती है इसमें अग्नि का स्तंभन शांति और पौष्टिक कर्म करने चाहिए | 2525252525252: · 15959595959595
SR No.090535
Book TitleVidyanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar
PublisherDigambar Jain Divyadhwani Prakashan
Publication Year
Total Pages1108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size24 MB
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