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________________ 052152151ASRISI05 विधानुशासन ISIRISRISTOT51215015 %3 Rame देवदत्त 480 रा N इदानीं गारूड सिद्धि प्रतीत निमित्तं स्तोत्र गर्भिता स्तुतिमाहः अचं गारुडी सिद्धि के विश्वास के कारण स्तोभ गर्भवाली स्तुति को कहते हैं। वायव्याशा मुरवस्य त्रिपुर वलय मध्य स्थितस्योवंजानौ ज्वालामाला कुलस्या ज्वलनात ललाटस्य दष्टस्य पुंसः रेफा कांतांगयष्टे रायुत शरदंडेन हृद्याहतस्य स्तोभं सद्यो विद्ध्यात्पदभिनुतिर सौ पातुमां पार्श्वनाथ: ॥४॥ वायु कोण (पश्चिम उत्तर दिशा के कोणे) की और मुख वाले तीन मंडलों के बीच मे ठहरे हुवे ऊपर को घुटने किये हुवे अग्नि के समूह से व्याप्त ज्वलन अर्थात ॐ बीज युक्त मस्तक वाले र वर्ण से व्याप्त शरीर वाले इँसे हुवे पुरुष को य य से युक्त शरीर अर्थात् हू बीज दंड से हृदय में चोट किये हुए पुरुष को शीघ्र ही स्तोभन करने वाली स्तुति स्वरुप भगवान पार्श्वनाथ में ही रक्षा करे। CASIRIDICT5101510501512 १२५ PISTORSDISTRISIOTSIRIDDES
SR No.090535
Book TitleVidyanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar
PublisherDigambar Jain Divyadhwani Prakashan
Publication Year
Total Pages1108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size24 MB
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