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________________ SSOCISTRICICIDIOE विद्यानुशासन LISTORICKSTORICKISIST | आकर्षण विधान अथातो वक्ष्यते सिद्भर्मत्रयंत्रैश्च योषितां, आकर्षणं यथा चाों रूपदिष्टं पुरातनैः ॥१॥ अब सिद्ध मंत्र और यंत्रों से (योषितां) स्त्रियों के आकर्षण का वर्णन प्राचीन आचार्यो के उपदेश के अनुसार किया जाएगा। देवादिरादौतदनु श्री बीजं त्रिशरीरकं स्मरबीजैः, उभे माया श्री भेवदष्ट में कूशे: ॥२॥ ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं क्लीं ह्रीं श्रीं क्रों अयमष्टाक्षर कामदेव मंत्रः प्रसिद्धयति एष लक्ष प्रजायाधैराकर्षयति योषितः ॥ आदि में देय (5) फिर श्री (दीज) फिर त्रिशारीरकं (ही) स्मर बीज (क्ली) माया (ह्रीं) श्री और आठवां अकुंश बीज (क्रो)- यह आठ अक्षरों वाला कामदेव मंत्र एक लाख जप आदि से सिद्ध होकर स्त्रियों को विशेष रूप से आकर्षित करता है। नर: स बिंदु प्रथमं यामस्तुदतु स्तादशः, ततो बीजं त्रिमूरिव्यं स्तं वेर मवशी कतिः सांगो लक्ष जपात्सिद्धो मंत्रो गौर्याधि देवतः सर्व सिद्रिं ददात्येष: स्त्री नराकर्षणादिकं ॥४॥ बिन्दु सहित यर (ह) वाम (ॐ) फिर यह त्रिमूर्ति (ही) नाम का बीज यह वर्ण करण करते हैं। यह गौरी देवी का मंत्र अंग सहित एक लाख जपने से सिद्ध होता है तथा स्त्रियों के आकर्षण आदि की सब सिद्धियाँ देता है। ह्रां ह्रीं हूं ह्रौं हं: अस्त्राय फट अंगाणि, षद्कोणेषुच विनयं मध्टो यूं नाम संयुतं, लेख्यं वाह्य स्वर हंकारं तदान वयाक्षरै वेष्टयं कुकुंम गोरोचनया तांबूल रसेन ताम्रमय पत्रो, परिलिरव्य दीप दहनादीप्सित नारी समानयति ॥६॥ षटकोण घर के छहों कोणों में विनय () लिखकर उसके बीच में नाम सहित यूं लिखे । उसके बाहर स्वर और हकार लिखकर उसको गजवश करण अक्षर क्रों से वेष्टित करे। इस यंत्र को तांबे के पत्रपर केसर गोरोचन और तांबल केरस से लिखकर दीपक पर तपाने से डच्छित स्त्री का आकर्षण करता है। CROSEXSTOSTERIOSISTER०६१PISIRIDIOSSIPISEXSTRETCIEN
SR No.090535
Book TitleVidyanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar
PublisherDigambar Jain Divyadhwani Prakashan
Publication Year
Total Pages1108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size24 MB
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