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SSORSTPISODRISO150 विरानुशासन BASICSIRISTRIERSIOTE
स्वमलैः सम्टाक तद् धूपैद्धिपितानि पथक,
दशकारिकाभिधाना सकल जगहश्यकारिण्टा: ॥३२२ ।। धतूरा इंद्रायण स्वर कर्णिका का कोयल त्रिसंध्यं (त्रिसंधि पुष्प) स्फोटन (भिलावा) लजालु द्विजदंडी (ब्रह्म इंडी की बहुत सी गोलियां बनाये। इसको बर्तन में रखकर उसमें पृथक पृथक नमक सरसों , सूंठ (धान्य अजमोद का चूर्ण हरड़े क्रमुक सुपारी और पीपल डालकर भावना देवे। फिर इनको पृथक पृथक अपने मलो की भावना देकर इसको जगत को वश में करने वाली दस कारिका नाम की धूप बनती है।
॥३२३॥
ॐ नमो भगवते सूर्य कर्णायः ॥
त्रिगुणित सहश्र रूप प्रजाप्यतो गज मुरवस्य मंत्रोयं, होम च दशांशांत विहितात् सिद्धि मुपयाति । निज चरणां गुण्टाभ्यां विमर्द्धनं श्रवण मूलयो, कुटति करिणः प्रजपन्नेनं ततो भवेत् कुंजर्रा वश्या
॥३२४ ।।
यह गणेश का मंत्र तीन हजार जपने से और दशांश हवन से सिद्ध होता हैं। इस मंत्र को जपते हुये अपने पैर के अंगूठे से हाथी के कानों की जड़ को मलने से हाथी वश में आ जाता है।
ॐ गया मयेन यज्ञेन येन राष्ट कृतुःपुराआनंत्यो देव देवस्य वचनानि पशोः स्मरः स्वाहा
एतेन सप्त वरान्मंत्रेण कृताभि मंत्रणत स्वाहा।
भुक्त्वा भवति तणादीन वश्या गौ गतिनिः निषूदनः ॥३२५ ॥ इस मंत्र से सात बार मंत्रित तिनके आदि के खाने से अत्यंत मारने वाली गाय भी वश में होती
ॐ नमो भगवते विष्णव पशूनां पतये ठाठः
त्रिसहश्र जप्यासिद्धं जपन्नमुंघाणपुट मुपादाय अंगष्ट तर्जनीभ्यां गोन्मोत्सा भवेद्वश्या
॥३२६॥
एवं विषं विधानं विदधीत जपादम मंत्रस्य अश्वादिष्वापि शिक्षा विमुरवेषु भवंति ते वश्याः
॥३२७॥ इस मंत्र की तीन हजार जप से सिद्ध करके इसको जपने से अंगूठे और तर्जनी से नाक की पुट को पकड़ने से गोनमी भूत होकर वश में हो जाती है। इस मंत्र के जप से यदि विधान अशिक्षित घोड़ों आदि को भी वश में करे, तो वे वश में हो जाते हैं।
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