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969695969595 शिधानुशासन 9595959595
चतुद्रुम त्वककुमदोत्प्लानां पुन्नाग कांतादिमजाति बिल्वैः गोपित काश्मीर युतै दशास्यै वश्याय सिद्ध सदय्तै मंषी स्यात् ॥ २७३ ॥
कुमुद श्री देवी स्वल्प क्रांता कपोत मल युक्ता, मलयज कलिता लिप्सा गात्रे वशये ज्जगत सकलं
॥ २७४ ॥ कुमुद (सफेद कमल) श्री (सरल कागोद गंदा विरोजा) देवि (सहदेवी) स्वल्पं क्रांता (कसेरु) कपोल अल (कत्ता हीदी)चंदन झीर पर लेप करने से सम्पूर्ण जगत वश में होते हैं ।
क्षीर वरा लिन्यर्जुन कनकांजलि कशे हरिणं मधु गुड़ खारी पुष्पक पक्कानां वश्य लेप
॥ २७५ ॥
क्षीर (दूध) वरा (त्रिफला) अलिन (शहद), अरजुन धतुरा अंजलि (लजालू) सफेद दिखने वाला शहद गुड़ खारी पुष्पक (सुपारी) को पकाकर लेप करने से वशीकरण होता है।
कार्य प्रमितेवारा शिशिरयो सालेश्वरैः भृंगयोः
प्रस्थार्द्धं प्रमिते पृथक् सचुलुक क्षोद्रे विधिश्येः पचेत् ॥ २७६ ॥
रात्रीष्ट पलोन्मितास्तदनुता छाया विश्रुष्को तनौ लिप्ताः सर्व जनानुराग जननं कर्तुं समर्थ परं
॥ २७७ ॥
श्रेष्ट साल और भांगरा को जाड़े के मौसम के दिन में प्रस्थ (६४ तोले) के आधे प्रमाण से थोड़ सा शहद डाल कर क्वाथ विधि पूर्वक पकाए और आठ दल (३२ कर्ष) करने पर हल्दी को छाया में सुखाकर शरीर पर लेप करने से सम्पूर्ण पुरुषों से प्रेम उत्पन्न करने में समर्थ होता है।
रुक सिंदूर बचा नाग के शरै: चंद्रा कुसुमैः ससिद्धार्थे कृतो धूपः स्यात्सर्वजनवश्य कृत
॥ २७८ ॥
रुक ( कूठ ) सिंदूर वच नाग केशर चंद्र कुसुम (सफेद निसोथ ) सफेद सरसों के बनी हुई धूप सब को वश में कर लेती है।
धूप मद्ध स्तग्वर्त्तम नाग चंदन गैः समैः सिद्धैः क्रमावृतैः राज दर्शाने पुण्य विक्रय
॥ २७९ ॥
पंच पय स्तर पयषा पोत
कांडक रसेन
परि भाव्याः तिल तैल दीप वर्तिः त्रिभुवन जन मोह कृद्दीपः ॥ २८० ॥
やらにすらにすで
にちにちにちにちにすぐり