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959595959595 विधानुशासन 959595p
कल
(अमर राठी) हिम (पू) नीलांजन बना (नेत्रवाला) लक्ष्मी (तुलसी) मोहिनी (पोदीना) रक्ता (गुंजा) व्याघ्र नखी हरि कांता (विष्णु क्रांता )वर कंदा गोरोचन सहित केकिशिखा ( मयूरशिखा ) के चूर्ण को अलक्त पटल पर बिखेर कर पहले कही हुई विधि से अंजन बनाएं तो यह संसार को प्रसन्न करता है।
हीर कांता केकिशिरखा शरपुंखी पूर्ति केशि सहदेव्यः हिम मद राजावत विकृतिं कन्या पुरुष कंदं
॥ २६८ ॥
वर पद्म केशरं मोहिनीति सम भागतः कृतं चूर्ण प्राग विधि युत अंजनमिद मरिवल जगदंजनं तथ्यां हरिकांता (तुलसी), मयूर शिखा, सरफोका - पूतिकरंज केशि (कसेरु) सहदेवी हिम (कपूर) मद (धतूरा ) राजावर्त विकृत कन्या (घृत कुमारी) पुरुष कंद (नीलवृक्ष) श्रेष्ठ कमल का केशर मोहिनी ( पोदीना) को बराबर बराबर लेकर उसके चूर्ण को पहले कही हुई विधि के अनुसार बनाया हुआ अंजन सब जगत को वश में कर लेता है।
सार्दूल नरव भ्रामक नीलांजन मोहिनी सुकर्पूर गोरोचनान्वितं विधिवदं जनं लोक रंजन कृत्
॥ २६७ ॥
॥ २६९ ॥
व्याघ्रनखी भ्रामक (भ्रमर छल्ली) नीला सुरमा मोहिनी (पोदीना) कपूर और गोरोचन के चूर्ण का विधि के अनुसार बनाया हुआ अंजन लोक को वश में करता है।
काश्मीरकुष्ट मलयज कमलोत्पल केशर च सहदेवी भ्रामक कन्या नृप हरिकांता विकृतिश्च मधुर नवां ॥ २७० ॥
कप्ररोचनामोहिनी सुनीलांजनं च सम भागं
पूर्व विधियुक्तमंजन मिद मरिवल जग वशीकरणं
॥ २७१ ॥
केशर, कूट, चंदन, कमल नीलीफर की केशर, सहदेवी, भ्रामक (भ्रमर छल्ली) कन्या, (घृत कुमारी) नृप (ऋषभक) हरिकांता (तुलसी) विकृति (सुधारे हुए) मोर के नाखून कपूर गोरोचन मोहिनी (पोदीना) और नीला सुरमा यह सबबराबर लेकर विधि के अनुसार बनाया हुआ अंजन सम्पूर्ण जगत को वश में कर लेता है।
नवसा कपाल मृत चीर सकल कृतवर्ति कल्पिता
विश्वमपि नयन वशा वशये च्वल पत्र शारिव विटपि मपि निशि ॥ २७२ ॥
95959595959१०५१ 95959595959596