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________________ PSPSPS PP विद्यानुशासन 9595952PA D सरफोंका सहदेवी तुलसी / कस्तूरी कपूर गोरोचन हाथी का मद में नशिल दमनक चमेली और खेजड़े के फूलों और हरिकांता (तुलसी) को बराबर बराबर लेकर श्रम उपाय से तिलक किया हुआ सम्पूर्ण लोक को वश में करता है। मार्कव विष्णुक्रांता देवी श्वेताग कर्णिका मूलैः गोरोजनांबु पिष्टैः पुष्पै तिलको जगद् वशक्त ॥ २३५ ॥ मार्क (भांगरा) विष्णुक्रांता (शंख पुष्पी) देवी (सहदेवी) श्वेताग कर्णिक मूल (सफेद कोयल की जड़) गोरोचन को पानी से पीसकर तिलक करने से जगत वश में होता है। सित गिरि कर्णी मूलंशित वात विरोधो मूलमपि तैलं मदगज मद समुपेतं तिलकं त्रिलोक्य वश्यक ॥ २३६ ॥ सित गिरि कर्णी मूल (सफेद कोयल की जड़) सित वात विरोधी मूल (सफेद ऐरंड़ की जड़) तिली का तेल हाथी का मद और मद (धतूरा) का तिलक तीन लोक को वश में करता है। जरिली शिखा सहदेवी मोहिनी हरि वल्लभा च गोरंभा, सिद्ध दिने कृत तिलकः शंकर मपिवश्यतां नयति ॥ २३७ ॥ जरिली (पिलखन) शिखा ( मयूरशिखा ) सहदेवी मोहिनी (पोदीना) हरिवल्लभा (तुलसी) और गोरभा का सिद्ध दिन में तिलक करने से शिवजी भी वश में हो जाते हैं। वरकंद पत्र कन्या हिम पद्मोत्पल सुकेशरं कुष्टं हरिकांता मला भवं विकृति स्तिलकां जगद्वश कृत ॥ २३८ ॥ वरकंद के पत्ते घृत कुमारी कपूर कमल और नीला कमल की केशर कूठ (सखा हूली) हरिकांता, और चंदन का तिलक जगत को वश में करता है। कनकसहजात पुष्पी मलयज नृपरोचना गज मदैश्च सम भागेन गृहित स्तिलक स्त्रैलोक्य जन वश कृत् ॥ २३९ ॥ कनक (धतूरा ) सहा (गंवार पाठा) जाति पुष्पी (चमेली के पत्ते ) मलयज (चंदन) नृप (ऋषभक) गोरोचन हाथी का मद सब बराबर लेकर तिलक करने से तीन लोक के प्राणी वश में होते हैं। श्वेत जपासित सर्षप सहदेवी देवी भृंगराज कृततिलकः युक्तः समरोचनया त्रिभुवन जन वश्य कृत प्रीक्तः 95959595959१०४६5959695959 ॥ २४० ॥
SR No.090535
Book TitleVidyanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar
PublisherDigambar Jain Divyadhwani Prakashan
Publication Year
Total Pages1108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size24 MB
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