________________
PSPSP5PS/75 विद्यानुशासन PPPSSPPS
हिक्का पद्मक तुलसी मिति सम भागं तुषार सलिलेन पुष्पे चंद्रा भ्युदये च कन्यया पेषयेत्सर्व
तिलकं कुर्यात अमुना विदधात्वयवांजनं तथाऽन्यो तिलक स्त्रिभुवन तिलको गजमद कुनटी शमीपुष्पैः
॥ २२९ ॥
इलायची लोंग चंदन नगर कमल केसर कूठ केशर खस गोरोचन नागकेसर में नसितराई कूहिक्का (जरामांसी) पद्माख तुलसी को बराबर लेकर पुष्य नक्षत्र में चंद्रमा के उदय होने पर ओस के जल से सब को कन्या से पिसवाए, इनका तिलक या अंजन बनाकर लगाए, इससे तीनों लोक जीते जाते हैं । हाथी का मद कुन्टी (मेनसिल) खोजड़े के फूल इनका तिलक तथा अंजन दोनो ही तीन लोक को जीतते हैं।
पावक वर्जित लक्ष्मी सहदेवी कृष्ण वल्लिका तुलसी हरिकांतावर कंदे विश्व सितो शीर पिक्काश्च
जाती शमी पुष्प युगं दम नक गोरीचनाया मार्गः श्च काश्मीरा मृगमद बुरक मारि पत्राि
॥ २२८ ॥
शंरपुंखी सहदेवी तुलसी कस्तूरिका च कर्पूर गोरोचना गज मदो मनः शिला दमनक चैवं
॥ २३० ॥
॥ २३९ ॥
शरपुंखी कन्येति च सम भाग गृहीतश्शुभ तंत्रैः पुष्पाकर्के संयुक्ते मुखं वासौ वा भवेत तिलकः ॥ २३२ ॥ पावक (अनि या धूप से बची हुई लक्ष्मी तुलसी) सहदेवी काली तुलसी, और हरिकांता (विष्णुकांता) वर कंद (नील वृक्ष) विश्व (सोंठ) सिता (शक्कर) उषीर (खस) पिष्क (कोकिल) जाती पुष्प (चमेली) शमी (खेजड़ा) दोनों के फल दमनक गोरोचन, आदि झाड़ा केशर / कस्तूरी दुर्दुर (पुनर्नर्वा) मिरच के पत्ते सरफोंका और घृतकुमारी को उत्तम उपाय से बराबर बराबर लेकर पुष्य नदात्र और रविवार के संयुल योग में तिलक करने से वशीकरण होता है।
॥ २३३ ॥
जाती शमी कुसुम युग हरिकांता चेति दिव्य तंत्र मिदं सम भागेन गृहितं तिलकं कुरु भुवन वश्य मिदं ॥ २३४ ॥
95959595959595१.४५ 95959595955