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________________ RSIOSDISTRIFICISTOT5 विद्यानुशासन PADDISTRISIOIDDISCISS गोरभां वहि शिरवा रोचना मोहिनी वश पिष्टाभिः कन्यायै ताभि वंशी कुर्यात् विशेषतः ॥२२१॥ गोरभा गर्हिशिखा (मयूर शिखा) गोरोचना मोहिनी (पोदीना) वश (पोपल) को पीसकर कन्याओं को विशेष रुप से वशीकरण करता है। रक्ता तगर मंदार मूलै स्तुल्येन कल्कितं पुडाकं चंदन नाश्रु वशी कुर्यात जगत् त्रो ॥२२२॥ रक्ता (चोटली) तगर मंदार मूल (आक की जड़) और चंदन से तीनों लोकों को शीघ्र वशीकरण करता मंदार मूल मंजिष्टा कुष्टचकै सरसमैः समं पिष्टं तं ललाटादौ वशटोत् रक्त चंदनं ॥ २२३॥ आक की जड़ मंजीठ कूठ चक्र (तगर) को बराबर लेकर लाल चंदन के साथ पीसकर मस्तक आदि पर लगाने से वशीकरण होताहै। भंगनील गजांश्वत्थ वर्षा भून्मत्त चंदनैः जलेननालिकेरस्य पिष्टैश्यो विशेषतः |२२४॥ भांगरा नील गज (विष्णु क्रांता), अश्वत्थ (पीपल) वर्षांभू (साठी) उन्मत (धतूरा) और चंदन को नारियल के जल से पीसने पर विशेष रुप से वशीकरण करता है। पद्यो भुवाल लाला गोरीचना मधुपैगुरोः भारायणं कन्याया पिटैलालाम रवल मोहनं ॥ २२५ ॥ गाय के बच्चे की लार गोरोचन मधुप (महवा) अगर (भातयां) तुलसी को कन्या के मुख की लार से पीसने से सब मोहित हो जाते हैं। तिलको वशयेन्मीन पीत्र गोरोचना कतः वाम हस्त कनिष्टांग भागेन विनि वेशितः मछली के पित्ते और गोरोचन को बायें हाथ को कनिष्ठा उंगली सेल ॥२२६॥ तिलकवशीकरण करता गामासापायापचया एला लंवग मलयज तगरोत्पल कुष्ट कुंकुमोशीरे गोरोचनादि केसर मनः शिला राजि का कुष्टंज ॥२२७॥ SETOSDISTRISTOTSICISTR०४४ PARTOISTRICISIOISTRISTRIES
SR No.090535
Book TitleVidyanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar
PublisherDigambar Jain Divyadhwani Prakashan
Publication Year
Total Pages1108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size24 MB
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