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________________ こらこらこらでらって5 Regexa らでらでらで らくら उसके पत्रों में भी उसी अक्षर को लिखकर उन पत्रों के आगे अग्नि, अक्षर (रं) लिखे पत्रों के अंतराल में ब्लें लिखकर उसको आदि में वेद (ॐ) द्रां द्रीं ब्लूं और स्मर बीज (क्लीं) और होम (स्वाहा ) सहित मंत्र से वेष्टित करे तो यह जगत को शोभित करता है। दां 敬 ॐ क्ली क्ली ॐ De क्ली 왔어요 हूँ क्ली ब्लें ॐ ॐ 빨리 हैं क्लीं ब्लें ܠܝ Jerse हा क्ली क्ली 3% हां तेषु षोडश सत्कलाः शिरसी श्रून्यो वृत्तं हिमांययापरि विष्टितं प्रणवादिकादिभिरावृते K अंत्य वर्ण तृतीय तुर्य वकार तत्ववृता व्हय, हंस वर्ण संवृत्तं तेता द्विगुणी कृताष्ट दलांम्बुजं : यंत्र मा विलियेदिदं हिम कुकुंमागरू चंदनैः, भूर्ज के फल केथवा धरणी तले श्रुचि धामिनी ब्ल RE 店 सः स्वा ॥ २०५ ॥ ॥ २०६ ॥ ॥ २०७ ॥ प्रत्यहं विधिना समं जपतो रूणं प्रसवै भ्रंशं तस्य पाद सरोज षटपद सन्निभं भुवनत्रये 969695959519595 १०३८69595951959 ॥ २०८ ॥
SR No.090535
Book TitleVidyanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar
PublisherDigambar Jain Divyadhwani Prakashan
Publication Year
Total Pages1108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size24 MB
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