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SSE1501501512505 विधानुशासन PSISTSRIDDEDISTORY
ॐ ह्रीं ह्यलीं ब्लें अह असि आउसा अनाहत विद्यायै नमः ॥ मंत्र का वर्ग (शवी का तीसरा अक्षर सो और तर्य चौथा अक्षर (ह) व और तत्व (हीं) से घिरा हुआ अर्थात् देवदत्त नाम को स ह व ह्रीं से येष्टित करके हंस अक्षर से वेष्टित करे, इस आट दल के कमल को दुगुना करके अर्थात् सोलह दल का कमल बनाकर उनमें सोलह स्वरों को लिखे। इसके बाहर सिर सहित हकार से वेष्टित करे। इसको माया (ही) से वेष्टित करके क्रों से निरोध करके बाहर ॐ सहित क से ह तक के अक्षरों से वेष्टित करें। इस यंत्र को हिम (कपूर) कुंकुम (केशर( अगर) चंदन आदि से भोज पत्र पर बड वृक्ष की तख्ती पर ऐसी पृथ्यी पर जो अपतित गोमय विलिप्त भूमि पर, जो बिना गिरे हुए गोबर से लिपी हुई शुद्ध भूमि पर प्रति दिन यंत्र के विधान से लाल कनेर के फूलों से जप करने वाले पुरुष के चरण कमलों में तीनों जगत् काल भौरें की तरह वश में रहते हैं।
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हरि गर्भ स्थित नाम तत्परिवृत्तं रूद्र त्रि मूत्या हतैः
पुटितं सेन वकार संपुट गत वेष्टां च दातं स्वरै: CRORSCISIOISODIPTISTE१०३९ PARTOISTRSSIRIDDISTRISTRIES