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________________ S5I055050505TOS हिमानुशासन REACTIONARAICHETRIES अष्ट दल कमल मध्ये स्वनाम तत्वं दलेषु चित्त भवं वहिरप्यष्ट दलांबुजंमिभ वश करण दलेषु लिवेत् |॥२०२॥ दगारी इदं यंत्रं त्रेलोक्य जन मोहनं लिरिवत्वा , शोभने दो कंटे वन्यातु बुद्धिमानः ॥२०३ ॥ एक आठ दल के कमल की कर्णिका में ही के भीतर अपना नाम लिखे और आठों दल में (चित्रभव) क्ली लिखे फिर बाहर आठ दल के कमल के पत्तों में इभ यशकरण क्रों लिखें। यह दुर्गादेवी का यंत्र तीन लोक के लोगों को मोहित करने वाला है। इस सुगंधित द्रव्यों से लिखर बुद्धिमान लोगों को अपने गले में धारण करना चाहिये । क्ली नाम क्ली क्ली संलिरव्याष्ट दलाब्ज मध्य गगनं कामाधिपे नान्वितं तत्पत्रेषु तदक्षरं प्रविलिावे त्पत्राग्र गर्ताग्न्य क्षरं तो स्वाक्षरं ब्लें पत्रांतरं पूरितवलटितं मंत्रेण वेदादिना द्रां द्रीं ब्लूं स्मर बीज होम सहितो रेत जगत दोभनं ॥२०४ ।। एक आठ दल कमल को कर्णिका के बीच में गगन (ह) को कामाधिप (क्ली) से युक्त करके लिखे CO5CISTRISITORSCI5015१०३७P/510152525505TOSDIST
SR No.090535
Book TitleVidyanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar
PublisherDigambar Jain Divyadhwani Prakashan
Publication Year
Total Pages1108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size24 MB
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