SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 1039
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 959595958/595 विद्यानुशासन 95595959595 बाहर दिशाओं में और विदिशाओं के पत्रों में लकार के साथ वारिधि बीज (च) अर्थात् ब्लें को लिखे । देवी ज्वालामालिनी के कहे हुये इस परम देव गृह यंत्र को पुष्य नक्षत्र में रविवार के दिन भोज पत्र पर सुंगधित और पवित्र वस्तुओं से लिखे । ज्याला मालिनी देवी के इस हृदय और उपहृदय मंत्रो के द्वारा लगातार पूजन जप और हवन करने से स्त्री राजा शत्रु और भवनवासी देवी भूतादि वश हैं । (घृत दूध बूरा, गूंगाल और दशांग) और पंचांग धूप को मिलाकर उसको दस हजार हवन कुंड में आहुति देने से इन्द्र भी वश में हो जाता है। औरों की तो क्या बात है। 西 है 艾 ज्वालामालीनीदेखी शीघ्रं 皮 अमुक 252525252 幾班送 Hyatte 建造性 452 145 Box 晰 說 सरस्यूँ 251 生全 feat 12 ज्वालामालानि ज्वालामालानि बालामालानि ओ 时 आकर्षये २ तिष्ठ २ द्राक्ली जी का ठ ठ Ja 联裁班疑 £2 For ठ 機 CRP Band डॉ क्ली जीं भने ॐ ह्रां आ वरदे नमः मम सत्य वाट स्पे 丑 POPIS: +33 PÍSPISPS25ESP505
SR No.090535
Book TitleVidyanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar
PublisherDigambar Jain Divyadhwani Prakashan
Publication Year
Total Pages1108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy