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________________ 052525252595_Pengetica 252525252525 नाम Bak निचर को किस पंडालिनी ठः जः षोडशभिर्युक्तं लिख भुर्जे कुंकुमादिना चक्रं ॥ लिखितं तेषां मध्ये मंत्रोद्यं धारितो वशकृत चक्रतो चक्र मिदमेव लिखितं कुड़ा दौ पूजितं विलोक्य जपेत मौनी भूत्वा मंत्र स्यादाकर्षण भोजपत्र पर केशर आदि से सीलहरै संयुल एक चक्र लिखकर उसके बीच में उपरोक्त मंत्र लिखे तो वशीकरण होता है। इसी मंत्र को दीवार आदि पर लिखकर पूजन करके मौनधारण करके यदि मंत्र जपे, तो इच्छित स्त्री-पुरुष का आकर्षण करता है। ।। १७८ ॥ वर्णतं मदन युतं वाग्भव परिवेष्टितं वसुदलाब्जं, दिक्षु विदिक्षु च माया वाग्भव बीजं ततो लेख्यं त्रैलोक्य क्षोभनं यंत्रं सर्वदा पूज्येदिदं, हस्ते वद्धं करोत्येव त्रैलोक्य जन मोहनं मर्भात्यो । १७९ ॥ 11820 11 11868 11 अंत के वर्ण (ह) को मदन (क्ली) से युक्त करके लिखे । उसे वाग्भव (ऐं) से वेष्टित करें उसके बाहर एक आठ दल का कमल बनावें, उसकी दिशाओं में ह्रीं (माया) तथा विदिशाओं में वाग्भव (ऐं) बीजों को लिखे इस तीन लोक को क्षोभण करने वाले यंत्र को सदा पूजने से तथा हाथ में बांधने से तीन लोक के लोगो को मोहन करता है। PoP5Pese PPE१०२८. PSP596296959595
SR No.090535
Book TitleVidyanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar
PublisherDigambar Jain Divyadhwani Prakashan
Publication Year
Total Pages1108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size24 MB
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