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________________ 505050512185 विधामुशासन 75050SESSISION रवकारो दरगं नाम तोय मंडल मध्यगं, रोचमामि शुभ द्रौलिरदेखि कोष हत ||१७४॥ जल मंडल के बीच में ख के अन्दर भोजपत्र पर गोरोचन केशर आदि से नाम को लिखने से उसका विद्वेषण और क्रोध नष्ट होता है। वारूणे मंडले नाम रखकार स्योदरे लिवेत् कंकुमादि शुभैद्रव्यैः सभूर्जः वश्य कर्मसु ॥१७५॥ वारुण मंडल (जलमंडल) में साध्य के नाम को ख के अन्दर केशर आदि से भोजपत्र पर लिखे, तो वशीकरण करता है। नाम वायव्य मंडले साध्या सकारस्योदरे लिरवेत् कु कुमागरू कपूरै वश्याकष्टि प्रदर्शनी ॥१७६।। वायु मंडल में साध्य का नाम स के उदर (अंदर) केशर अगर कपूर आदि द्रव्यों से भोजनपत्र पर लिखे तो वशीकरण और उसका आकर्षण होता है। अकार संपुटे नाम लिरिवद्विन्दु समन्वितं, अंभेपुरे श्रुभे दौ: वश्याकर्षण मोहनं ॥१७७॥ जल मंडल के बीच में बिन्दु सहित नाम को अकार के सम्पुट में उत्तम द्रव्यों में लिखने से वशीकरण आकर्षण और मोहन होता है। 0521501505125055105९०२७ 9527505RISTRISTIONSIOSI
SR No.090535
Book TitleVidyanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar
PublisherDigambar Jain Divyadhwani Prakashan
Publication Year
Total Pages1108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size24 MB
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