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________________ PSPSPSP555 विद्यानुशासन 959590595055 अमें कुसुमें स्वाहा यह रुद्र मंत्र एक लाख प्रमाण जपने से सिद्ध होता है. फल पुष्पादि को इस मंत्र से सात बार अभिमंत्रित करके देने से स्त्री वश में आ जाती है, यह साधारण मंत्रियों का अनुभव है । ॐ नमो मातंगानां नमो मांतगिनीनां नमो मातंगी कुमारिकानां तद्यथा चरू चरूअस अस कुरू कुरू ठःठः ।। वल्मीकं मृत्प्रतिकृतिं साध्याख्यानां कितां शिरो दधति, अपि धायधीवक दक्षिण चरणेन चाक्रभ्य सप्ताह मंत्रममुं जपेत् त्रिसंध्यं भवेदयं वश्यः नाय्यांतु, तत्प्रति कृतिं साध्यायां याम चरणेन ॥ १६२ ॥ ॥ १६१ ॥ सर्प की वामी को मिट्टी से साध्य पुरुष की प्रतिमा बनाकर उसके नीचे किये हुए मुख को अपने दाहिने पैर से दबाकर इस मंत्र को एक सप्ताह तक प्रातः, दोपहर और सायंकाल के समय जपने से यह अवश्य वश में होकर आ जाता है- स्त्री साध्य की प्रतिमा को अपने बायें पैर से दबायें। ॐ वश्य मुवि राज मुवि राज वश्य मुखि तःतः ॥ एष: लक्ष जपात्सिद्धौ लक्ष्मी मंत्रः प्रशस्त मुरख प्रक्षालनं कुर्वते एतेन वशये जगत् ॥ १६३ ॥ इस लक्ष्मी मंत्र को एक लाख जप आदि से सिद्ध करके उससे अपना मुख धोने से सम्पूर्ण जगत को वश में करे । हृदयोपहृदयमंत्रं कनिष्टि काद्यगुलिषु विनष्टा, तस्यो पर्यो ज्वालिनि जन वश्य कुरु वषट् मंत्र ॥ १६४ ॥ संजय सप्तवारा निन्निजेन तेनैव वाम हस्तेन अभिमंत्रितः स्ववदनो वश्येत दृष्टं जनं सर्व हृदयोप हृदय मंत्र का कनिष्टिकादि उंगुलियों से न्यास करके उसके ऊपर ॐ ज्यालिनी जन वश्यां कुरू कुरू वषट् मंत्र को अपने उसी बायें हाथ से सात बार जाप कर अभिमंत्रित अपने मुख को दिखाने से सब लोग वश में हो जाते हैं। ॥ १६५॥ गौरी मंत्र नयन मनोहरि हर-हर जान मनोहरि ठःठः 252525252595952-er P/5952525252525
SR No.090535
Book TitleVidyanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar
PublisherDigambar Jain Divyadhwani Prakashan
Publication Year
Total Pages1108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size24 MB
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