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95952959595/5 विधानुशासन 95959PSPSPSPS
सिद्धै लक्ष जपादयमनेन सहदेव्याः भस्मताया लिप्त गात्रे वशये जगत् निखिलं
॥ १६६ ॥
इस मंत्र को एक लाख जपादि से सिद्ध करके उससे हवन किये हुए सहदेवी को भस्म को अपने शरीर पर लेप करने से संपूर्ण जगत को वश में कर लेवे।
ॐ ही ऐं क्लीं नित्ये क्लिन्ने मद द्र्वे ऐं ह्रीं स्वाहा ।
ॐ ह्रीं नित्यं क्लिन्ने मद द्रवे ही स्वाहा । ॐ ह्रीं क्लीं नित्ये क्लिन्ने मद द्रवे ह्रीं स्वाहा, अस्त्राय फट्
अंगानि मंत्र ममुं नित्यायाः स्मृत्वा लक्ष त्रयं जप्तवेत्सांग जुहुयादपि माधुकैः कुसुमैः सिद्धैदसौ मंत्रः,
एतेनां जन भक्ष्णे वंदन प्रक्षालनं च तिलकं च स्नानं च समा चरतः सर्वोपि वशों भवे लोकः
या तलगो नित्यं स्मरण करस्या गुंलीषु वामस्य, विन्यस्य मंत्र वणानि पाद तले नामस्य ध्यायाः
ध्यात्वा क्षोभि भ्यां व्यां विधि वदव् धान्तु मंत्र विन्मुद्रां स्मर र परवता हृदया सहसा कृषे तसा साध्या
॥ १६७ ॥
॥ १६८ ॥
॥ १६९ ॥
॥ १७० ॥
ॐ ह्रीं ऐं से लेकर अस्त्राय फट् इसके अंग हैं।
इस मंत्र का अंग सहित ध्यान करके इसका तीन लाख जप तथा माधुक (महुवे ) के फूलों के होम से सिद्ध करें। इस मंत्र से आँखों में अंजन करने से मुँह धोने तिलक करने और अभिमंत्रित जल से स्नान करने से सब लोक वश में हो जाता है।
प्रतिदिन बिस्तर पर जाकर बायें हाथ की उंगुलियों में मंत्र के अक्षर और पैर के नीचे साध्य स्त्री का नाम का ध्यान करके मंत्री विधि पूर्वक क्षोभिणी मुद्रा को धारण करे तो कामदेव के बाणों से बिंधी हुई परवल जैसे कठोर हृदयवाली स्त्री अचानक आकर्षित होकर वश में हो जाती है। भूज्जे शुभे दिव्यं सुगंधि सारै विलिख्य मध्ये डढ्योः
स्व नाम गृहांतरे ग्राम पुरांतरे वा संस्थाप्यते यस्य वशस्तु लोकः ॥ १७१ ॥
यदि उत्तम भोज पत्र पर सुगंधित द्रव्यों से ड और ढ़के अन्दर अपने नाम को लिखकर घर ग्राम और नगर में रख दें तो लोक उसके वश में हो जाता है ।
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