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CISCESDASICISCI505 विद्यानुशासन VSTORSCISSISTRI5015 ॐ नमः शिवार चांडाल सादगी सर्व मम वसीयः कुरु कुरु ठाः।।
मंत्रो मातंगी काया, अय मयुतं जपात् सिद्धति, व्योमांगां तांध्यात्वा स्वोच्चिष्ट मंत्रं वलिमुपहरतो
॥१५५॥
नेन मंत्रेण तष्टीव प्राप्तस्यै क्यं तयाष्टा प्रतिदिनं, रियलो यश्टोतो याति लोके इष्टादश्यश्च या वा
व्रजति परमदः पूज्यत सौ तथापि ॥१५६ ॥ यह मातंगी का मंत्र दस हजार जप से सिद्ध होता है आकाश रूपी शरीर वाले अर्थात् नग्न उस देव का ध्यान करके उसके लिये उपरोक्त उशिष्ट मंत्र से बलि दे। उसको सिद्ध हो जाने पर मंत्री के यश में संपूर्ण लोक की स्त्रियाँ होजाती हैं। इन मंत्रो की बड़ी घमंडी स्त्रियाँ भी पूजा करती हैं। ॐ रूद्र दयिते योगेश्वररि हूं फट ठाठः।।
मंत्री गोयां एष: स्यात् पंचा शत्सहस्त्र जापेन सिद्धः साध्या संज्ञा मूरी प्रतिलिस्य वामायां ॥१५६॥
नाम पिधायच वामेन पाणिना साधको जपेन्मत्रं,
सा तत्क्षणेन साध्या वनिता वश्यत्वमायाति ॥१५७ ।। यह गौरी देवी का मंत्र पचास हजार जप से सिद्ध होता है। साध्य स्त्री केनाम को अपनी याई उरू (जंघा) पर लिखकर मंत्र को जपे और उस नाम को यायें हाथ से ढककर जपे तो वह स्त्री उसी क्षण उसके यश में हो जाती है।
पुंस साध्या स्थारख्या स्यदक्षिणों रौ विलिरस्टा,
हस्तेन यामे तर णपि दधे जपेद पुस्यादि सौ वश्य ॥१५८॥ पुरूष साध्य के नाम को अपनी दाहिनी जांघ पर लिखकर उसे बायें हाथ से ढ़ककर जाप करे तो वह पुरुष उसके वश में हो जाता है।
असमे कुसुमे स्वाहित्योष प्रमाण पूर्वकः, मंत्रो लक्ष प्रजााप्टोत सिटी दुद्राधि दैवतः
॥१५९॥
फल पुष्पदिकममुना वारान सप्ताभि मंत्रितं जप्त
अनु भूतं सवननं प्राहुर साधारणं जगतः ॥१६० ।। CSCIEDISCTRICISIST5121१०२३PSCISIOTECISIO51015CARS