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________________ STERISTRI51255015125 विधानुशासन 9575RADRASIDOES पुरूष रति काल में अपने वीर्य को हाथ में लेकर स्त्री के बायें पैर पर पोत दें तो उसका चिरकाल के लिये प्रेमी हो जाता है। एरंड तैलं फणि कन्नि युक्तं स न्मातुलिंग स्य च बीज मिश्रं धूपं प्रदद्याद्गति ही मध्ये स्त्री मोहनं ज्ञानविदोवदंति ॥१५०॥ यदि एरंड का तैल सर्प की कांचली और विजारो (मातुलिंग) के बीज को मिलाकर रति काल में धूप देवे तो स्त्री को याचना के शब्दों से उसके मोहित होने का ज्ञान मालूम होता है। मंत्रि वंड सिखंड मास्य विन्याष्टा भक्ष यन्दनेति, स्वस्थ रक्षार्थमस्मिन् धूप कमणि ॥ १५१॥ मी इस धूप का देते समय अपनी रक्षा करने के वास्ते अपने आरय (मुख) में मिश्री का टुकड़ा रख लेवे। नमःकामदेवाय सर्वजनविजयाय सर्वजन संमोहनाय प्रज्वलिताय सर्वजन हृदय ममात्मगते कुरू कुरू ठाठः।। त्रिसहश्र रूप्य जाप्पात् संसिद्धः कामदेव मंत्रोयं, जाप्पादिभिः प्रयोगैः कुप्या दृश्यं जगन्निरिबलं ॥१५२॥ । यह स्त्री वश्य कामदेव मंत्र तीन हजार जप आदि करने से संपूर्ण जगत को वश में करता है। स्त्री वश्य कामदेव मंत्र: ॐनमो भगवति मातंगेश्वरि सर्व जन मनोहरि सर्व मुख वशंकर सर्व राज वशंकर अमुकं में वश्य मानय मानय ठः ठः।। वीणा वादन निरतां निः शेषा भरण भूषितां श्यामां, शंखकृत कुंडला का देवी मातंगिकां नामीं ॥१५३॥ अवरमसितं दधती प्यात्वा में संध्टायो पो मंत्र नित्यं जपत स्त्री ण्यपि भुवनानानि वशे वे तिष्ठन्ति ॥१५४ ।। वीणा बजाने में लगी हुयी सब आभूषणों से सजी हुयी श्यामा शंख के कुडल के चिन्ह वाली मातंगी नाम की देवी काले वस्त्र पहनने वाली देवी का ध्यान करके, प्रातःकाल और सांयकाल इस मंत्र को प्रतिदिन जपने वालों के वश में तीन लोक की स्त्रियाँ रहती हैं। ಇಡಗಳಥಳಗge{ Vಥpಡಗೂಡದಾದ
SR No.090535
Book TitleVidyanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar
PublisherDigambar Jain Divyadhwani Prakashan
Publication Year
Total Pages1108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size24 MB
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