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15 विद्यानुशासन
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कोंच की फली के रोम सेंधा नमक सक्कर और मधु (शहद) शहद सेंधा नमक क्षौद्र मोम कबूतर
की बीट और अंजन |
मक्षिक यष्टि मधुकं वैदेही पाटली रसः प्रियंगुष्टि मधुकं नतिकृन्माक्षिकं रुजा
॥ ६७ ॥
माक्षिकं (शहद) यष्टि (मुलेठी) मधुकं (महवा) वैदेही (पीपल) पाटली रस । फूल प्रियंगु मुलेटी महवा नतिकृत (तगर) माक्षिक (शहद) रुजा (कूठ )
सूक्ष्मा कदंब निर्यास पूर्णे माक्षिक संयुतः सुमनः सार संयुतं स सिंधुद्भव मंजनं
।। ६८ ।।
सूक्ष्मा (छोटी ईलायची) कदंब का गोंद पूर्ण (जल) माक्षिक (शहद) सहित सुमनसार (पुष्प सारअगय्या का फूल का रस) सहित और सेंधा नमक और अंजन
पित्तं मत्स्य संपिष्ट पुष्पसार समन्विते केतकी सुमनो रेणु सुमनः सार संयुतं
॥ ६९ ॥
पित्तं मत्सस्य (मछली का पिक्ता) में पुष्प सार अगय्या के फूल का स्वरस मिला हुआ केतकी के फूलों के रस का पूर्ण और मुनि पुष्प सार अगत्था फूल का रस
यंग बीण सहितं सिद्धार्थे दुत्पलेन च यातांक फलसंभूतौ लवणेन युतो रसः
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हेयंग बीण (घृत) के साथ उत्पल (कमल) वार्ताक फल (बेगण के फल) में रखे हुए नमक का रस सहित
प्लवंग लिंग मसृण सूत कर्पूर सारया हैयंग बीन संभिन्नः पिष्टः साक्षान्मृगै ध्वजैः
प्लवंग (बंदर) के लिंग मसृण (लाली) सूत पारद कपूर सारा (निसाथ)
अर्द्ध लोकावसानायै योगा एते प्रकीर्तिताः एतैविलिप्त लिंगस्य वश्यास्युयषितोरियला
॥ ७१ ॥
॥ ७२ ॥
जो यह आधे आधे लोकों के योग कहे गये हैं इनमे से किसी एक का लिंग पर लेप करने से सब स्त्रियां वश में होती हैं।
मधु पिष्टै र्ध्वज लेपोरु अरीचक पित्थ निर्यासैः रंभा फलांबु कलितेर्वश्ये च्च द्रावेयच्च स्त्रीं
959595975969599१००९P5959595959595
॥ ७३ ॥