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SSIOISTRI51035255125 विधानुशासन BASCISSISTRISEASOISI
मईयेत् पिपली कामं सूतकेन कुरंटिका क्षीरेण मधुना सांड़ लिंगे लेपो वला स्मरः
||५९॥
मधु कपूर सौभाग्य पिटाली काम संयुतां द्रावटोत अंगना दंl लिंगलेपन मात्रतः
॥६०॥
कर्पूर कुकुम क्षौद्र कंकोल कणेकर्वजः
लिप्तः पिष्टे रतारंभे संमोहयति कामिनी नोट:- गुरु आज्ञा न होने से श्लोकों का अर्थ नहीं किया गया है।
||६१॥
कपित्थ स्वरस क्षौद्र कृष्णा मरिच तंदुला क्षौद्र यष्टिकणमूल कपित्थ रस सैधवा
॥६२॥ कैथ का स्वरस शहद काली मिरच चावल और शहद मुलैठी पीपलामूल कैय का स्वास और सेंधा नमक।
मधु दोवरि निर्यास सकष्णां दश सैधवाः कपोत विट पटु क्षेत्र विश्वा लोधाना मया
॥६३॥ शहद दो बार निर्यास (नीली वृक्ष का काठा) दस काली मिरच सेंधा नमक कबूतर की बीट पटु (पटोललता) सोंठ लोघ अंजन और आमय ( कूट)
सूठया वृश्चिक पुच्छाग्र रुजा मधुका भयाः दावोग्रागोशीर मजिष्टाः लोयमाक्षिक राजिका
॥६४॥ सूठ विच्छू का ईक स्ना (कूठ) मधुका (महवा) अभया (हरड़े) यव (जौ) उग्रा (लहसुन) गाय का दूघ मंजीठलोघ माक्षिक (शहद) राजिका (राई)।
कृष्णा च ब्रह्म इंडीच मरिचानि च मस्तु च पिकाक्ष पुष्प वैदेही व्यायी फल जलं तथा
॥६५॥ कृष्ण (काली मिरच) ब्रह्म डंडी सफेद मिरच और मुस्ता (नागर मोथा) पिकाक्ष (कोकिला - तालमखाना) काकूल वेदेही (पीपल) व्याधी फल (पसर कटेली के डोडे) और जल।
कपि कच्छक रोमाणां सैंधवं शर्करा मध माक्षिकं सेंधवं क्षौद्रं पारापत विंडजंन
॥६६॥ QಡಣಣಬಣಣದER೦೦೦Yಣಪಡಣಣದಣಥಂದ