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________________ CHODRISTRIORSEE विधानुशासन PHARISSISTR5RIES ॐ गौर्यै स्वाहा ॐ अपराजितायै स्वाहा ॐ विजयायै स्वाहा ॐ जंभायै स्वाहा मोहायै स्वाहा ॐ जयायै स्वाहा ॐ वारायै स्वाहा ॐ अजितायै स्वाहा मंत्र लिखे। और उसके बाहर मंडल में ॐ जूंस: बीजो को लिखे। स्त्री पुरुष के रति के समय योनि में इन्द्रिय से मिरी हुई को कपास से पकड़कर पृथ्वी के अतिरिक्त स्थान में स्थापित कर दे। इस यंत्र को भोजपत्र पर केशर गोरोचन आदि से लिख कर अग्रि से ढंक दे और उसके ऊपर श्वेन कोकिलादा (मखाने) के बीजों के चूर्ण को डाले इस यंत्र को जल में मिलाये हुए उस वीर्य से सींचकर तागे से लपेटकर यादे स्त्री अपनी कमर में बांध लो उस स्त्री में अनुरक्त पुरुष दूसरी स्त्रियों के लिए नपुंसक हो जाए। पुरुष वश्य यंत्र Laikatha ७ जमाये स्वाहा। विजयाये स्वाहा नाम 3 बाराझे स्वाहा । DAREThe अजितायै स्वाहा SHOROSESIRESIDEOS९९९ P6518570150100505TOISTRICT
SR No.090535
Book TitleVidyanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar
PublisherDigambar Jain Divyadhwani Prakashan
Publication Year
Total Pages1108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size24 MB
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