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________________ ゆらゆらゆらゆらSP5 Raagyle たらこちらですです भोजपत्र पर च और छ के बीच में साध्य के नाम को सुंगंधित वस्तुओं से लिखकर मधु और घृत से भरे बर्तन में रखे तो साध्य वश में होकर बैठे। ॐ चांडालिनी हिली हिली अमुकं वशमानय ठः ठः लक्षजपसिद्धमेनं मंत्रं भूर्जे विलिख्य तन्निक्षिप्ता कटु चेतसि कुक प्रतिभाया हृदये निस्वन्यैतत् गुह्ये च ताम्र सूचिं सप्त दिनं तापयेदिम मग्रौं संध्या तिसृषु वशः सभवेत्साध्यो न संदेह ॥ ११ ॥ इस मंत्र को एक लाख जप से सिद्ध करके भोजपत्र पर लिखे । उसको कटु चेतस (क्रोध के भावसे) कुक की बनी हुई प्रतिमा को ह्रदय में खोदकर रख दे, इसको ताँबे की बनी हुई से गूंधकर सात दिन तक तीनों संध्या काल में अग्नि में तपाये तो साध्य यश में हो जाता है । इसमें संदेह नहीं है। 1180 11 कूंमध्ये लिख नाम तत्कानीक्षवै विद्वान्वितै र्वेष्टितं (कवी क्ष वै) बाह्ये प्टष्ट दलां बुजे प्रति दलं स्वाहांत वामादिका गौरी देष्टा पराजितो च विजयां जंभा च मोहां जयां वाराहिम जितां क्रमाल्लिख वहिर्यामादि जूसः पदा स्त्री पुरुष सुरत समये दोन्यों विनि पतित मिंद्रयं यात्कार्याशन गृहीत्वा भूमिमप याप्यं काश्मीर रोचनादि भिरेत यंत्र विलिख्य भूर्ज पावक विहितं तदुपरि विकीर्य सित कोकि लाक्षबीज रजः ॥ १२ ॥ ॥ १३ ॥ ।। १४ ।। जल मिश्रं रेत सातन्नि सिंच्य सूत्रावृतं कटौविध्तं पुरुषं निजानुरक्लं करोति षंढं पर स्त्रीषु || 84 || एक अष्टदल कमल की कर्णिका में क्रू क वी क्ष और वै को बिन्दु (अनुस्वार) सहित लिखे इनके बीच में नाम को लिखकर उसके आठों पत्तों में पूर्वादि क्रम से । 169519 0505051‹‹ PSPSEX Pos
SR No.090535
Book TitleVidyanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar
PublisherDigambar Jain Divyadhwani Prakashan
Publication Year
Total Pages1108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size24 MB
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