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वीरनिणिवचरिउ [१२. ६. २७घत्ता-चर-गइ-जम्मेण गइ-णामउ अद्वद्ध-विह।
इंदियई गणेवि जाइ-णामु भणु पंच-विहु ।।क्षा
हणिवि पंच णाम. पंच-विहई। एक्कु ति-भेयउ दो दो दु-विहई ।। दो छह पुणु दो चउ अट्ठ-विहइँ । उच्चारुयइँ जाइँ एक-विहई । समलामलइ दोण्णि जगि गोत्तह । ताई मि जेहिं दूरि परिचत्तई ।। दाण भोय-उवभोय-णिवारउ । वीरिय-लाहु हेउ-संघारउ ॥ अंतराउ पंचविहु धुणेप्पिणु | अड्यालीसर सज विहुणेपिणु ।।