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संधि ८ सेणिय-धम्म-लाहो तित्थंकर-गोत्त-बंधो य
एक्कहिं दिणे किंकर-परियरिउ । पारद्धिादे नरवइ नीसरिर || अडविहि पइसारि समय-परु । परमेसरू अवही-नाण-धरु ।। मुणि जसहरू पेपिछवि जसहा
पडिमा-जोएं दुरिय-हरु। कहि दिट्टउ पहु अगिट्टल
अ-सजणु कज-विणास-यक | अइ-रोल-घसेण मुणीसरहो । पुद्दईसरेण परमेसरहो ॥ बह-हेड कयंत व जणिय-भया । सुगहाण विमुक्का पंच-सया ॥ मुणि-माह पेण विणीय किया। दाऊण पयाहिण पुरज थिया । ते निवि नरिंदे नि-पसरा । करे करिवि सरासणु मुक्क सरा ।। मणि-माहहो होवि पुष्फ-पयरू । चलणोवरि यडिज बाग-नियरु ।। पुणु सप्पु चित्तु मुउ झत्ति गले । तबयरण-करण-णिहविय-मले ।। रिसि-बह-परिणामें तहिं समए । नरयम्मि नरेसरु सत्तमय ॥ बद्धान हवेप्पिणु उवसमिउ । तं चोज्जु निएवि मुणिह नमिउ ।।