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सन्धि
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जम्बूस्वामिकी प्रव्रज्या
राजा श्रेणिक द्वारा अन्तिम केवली विषयक
प्रश्न व गौतम गणधरका उत्तर
भगवान् महावीर विचरण करते हुए तथा अपने धर्मोपदेशसे समस्त जगत्को अलंकृत करते हुए यथा समय सुन्दर विपुलाचल पर्वतपर आकर विराजमान हुए । तब मगधके राजा श्रेणिक भक्तिपूर्वक उनकी वन्दनाके लिए गया और भगवान्के समोसरणके दर्शन किये। फिर मगध नरेशने धर्मभावसे प्रश्न किया हे देव, इस भारतवर्षमें अन्तिम केवलज्ञानी कौन होगा? इसपर गौतम गणधर बोले-हे राजन्, यह जो तुम अपने सम्मुख विद्युत्के समान कान्तिवान् और गुणवती अप्सराओं सहित विद्युन्माली देवको देख रहे हो, वही आजसे सातवें दिवस भरहदास सेठको उस जिनदासी सेठानीके गर्भमें उत्पन्न होगा जब वह पके हुए शालिक्षेत्र, जलती हुई अग्नि, मदोन्मत्त तथा बहुनसे मदसे आच्छादित हाथी और देव द्वारा दिये हुए जम्बूफलके उपहारको अपने स्वप्नमें देखेगी, तब उस स्वप्नके फलस्वरूप उनका पुत्र जम्बू देव द्वारा पूजा प्राप्त करेगा, और इस पृथ्वीपर उसका नाम जम्बूस्वामी होगा और वह उसी जन्ममें निर्वाण प्राप्त करेगा।
उसी समय स्निग्ध नीलवर्ण चौरानबे अंगुल ऊँचे शरीरके धारी भग- . वान् वर्धमान पावापुरके सरोवर युक्त वनमें ऐसे निर्वाणको प्राप्त होंगे, जो