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वास्तु चिन्तामणि
वास्तु निर्माण की पांचवी आयोजना
FIFTH PLAN स्नानागारं दिशि प्राच्यामाग्नेयां पचनालयम्। यम्यायां शयनागारं नैऋत्यां शस्त्र मंदिरम्।। एवं कुर्यादिदं स्थानं क्षीरपानाज्य शालिकाः। शय्यामूत्रस्त्राजद्विद्या भोजना मंगलाश्रयाः।।
- नारद संहिता
वायव्य
उत्तर
ईशान
श्रृंगारगृह
श्रीगृह
आज्य तैल
पश्चिम भोजन गृह
स्नानगृह
शस्त्र, धान्य रति, धनगृह
शयनगृह
रसोई शौचालय
नैऋत्य
दक्षिण
आग्नेय