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वास्तु चिन्तामणि
वास्तु निर्माण की चतुर्थ आयोजना
FOURTH PLAN
प्रादि षोडश गृह सूतिक स्नान दधिमथन पाकाग्नेय भवनं तैलाज्य शयन गलसूत्रोई नैमयुधं च निलयं । विद्याश्च भोज्य रोदन पशुपाल वात्संभोगं धन धान्यौषधं ईश दिशदेव षोडश मन्दिर
क्रमं ।।
वायव्य
पश्चिम
वायव्य शोकगृष्ठ
पश्चिम
पश्चिम
नैऋत्य
पशुशाला
नैऋत्य
भोजन
शाला
| विद्याभ्यास
कक्ष
उत्तरी उत्तर
वायव्य
रतिगृह धन धान्य
गृह
सामानगृह शौचालय शयनकक्ष
दक्षिणी नेऋत्य
दक्षिण
उत्तरी
ईशान
वैद्यगृह देवगृह
आज्य तैल
गृह
दक्षिणी
आग्नेय
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पूर्वी
प्रसूतिगृष्ठ ईशान
दधिमथन
ईशान
स्नानागार | पूर्व
रसोई
पूर्वी आग्नेय
आग्नेय